अपने आप झलकता है भावों से प्यार प्यार और सिर्फ प्यार।।
कुछ लोग इस जहान में सच में पुष्पों की भांति होते हैं।
सदा महकते हैं ऐसे,कभी अपनी आभा नहीं खोते हैं।।
इस फेरहिस्त में नाम तेरा लाडो,
सबसे ऊपर है शुमार।
बाज़ औकात भावों को अल्फाजों की नहीं पड़ती दरकार।।
जब जिंदगी परिचय करवा रही होती है अनुभूतियों से,
तब से जुड़े होते हैं कुछ खास से नाते।
कभी दूरी नहीं आती इनमे बेशक हो जगह की दूरी या कम हों मुलाकातें।।
तूं ऐसी ही तो थी मेरी जीजी,
करती हूं दिल से स्वीकार।।
बाज़ औकात भावों को अल्फाजों की नहीं पड़ती दरकार।।
स्नेह प्रेमचंद
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