मलाल ने एक दिन कहा दुःख से,मुझ में और तुझ में क्या भेद है,आज मुझे तुम ये बतलाओ,क्यों समझ नही पाते लोग अंतर हमारा,आज मुझे ये अंतर समझाओ,दुःख ने कहा,सुनो बंधु, खो देते हैं जब हम अपनी कोई नायाब सी चीज,तब लोगों को मेरी अनुभूति होती है,मोह है कारण मेरा,ज्ञान की कमी यहां पर होती है,अब तुम दो मुझे परिचय अपना,बताओ क्या मतलब होता है मलाल का,क्यों पछतावे की गंध तुझ में होती है,मलाल से भर कर जब बोला मलाल तो दुःख को मायने मलाल के समझ में आ गए,क्यों मलाल है मलाल, क्यों दुःख के बादल उसपर छा गये,मेरा परिचय है काश,काश मैं यह कर लेता,काश में वो कर लेता, काश मैं दो मीठे बोल बोल लेता,आत्ममंथन होता है जब जन्म मेरा हो जाता है,मेरे जन्म की देरी के कारण इंसा चैन नही पाता है,मेरा परिचय है,कर सकता था,पर किया नही,मेरा स्वरूप बड़ा विचित्र है,काश मैं समय,समर्पण ,धन से मदद कर देता,यह हूँ मैं, मैं ताउम्र नही मिट पाता, व्यक्ति के साथ ताउम्र रहता हूँ,यही मेरी सज़ा है,दुःख तुम्हे कम किया जा सकता है,पर मुझे नही
कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक
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