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आज जन्मदिन है जिनका((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

आज जन्मदिन है इनका,आए इनके जीवन मे सदा बहार,
मिले खुशी,सफलता,सुख,समृद्धि और मिले हम सब का प्यार,
रोहिल्लास और कुमार्स की नन्ही कली तुम,तुमसे घर का आँगन गुलज़ार,
करते थे,करते है,करते रहेंगे तुम्हे प्यार हम सब बेशुमार,
कबूल करो आज दुआएँ हमारी,देखो दुआओं से भर रहा संसार,
देख तुम्हारी मोहिनी सूरत,लगते है सुंदर दीदार,
करता है मन करें प्रकट,ऊपरवाले का आभार,
आयी जो तुम आँगन में हमारे,समा हो गया गुलज़ार,
महकती रहना,चहकती रहना,प्रेम ही जीवन का आधार,
समय तो निश्चित रूप से लेगा अँगड़ाई,कभी पनपे न कोमल चित्त में कोई कुविकार,
ओ मेरी लाडो बिटिया रानी,खिले ऐसा पौधा मन मे तुम्हारे,जाने जो करुणा,सहयोग,अहिंसा और परोपकार,
लेखनी ने तो कह दी दिल की,बस कर लेना इसको स्वीकार।।

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वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...

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