चल लेखनी लिखते हैं
आज कुछ ऐसा खास।
लम्हा लम्हा वक़्त गुजरेगा,
वर्तमान बन जाएगा इतिहास।।
कतरा कतरा बीत रही ज़िंदगानी
हर जीवन की अपनी कहानी
हर कहानी का अपना ही किरदार
हर किरदार अपने कर्म का खुद जिम्मेदार,
मेहनत की स्याही से भाग्य की बदल देते हैं जो रेखा,
ऐसे खुशकिस्मत लोगों को कम ही जीवन मे है देखा।।
इस फेरहिस्त में तेरा नाम सबसे ऊपर आता है ओ मां जाई।
एक तेरे न होने से पूरी ही कायनात लगने लगी पराई।।
तूं जहां भी है शांत रहे
हर आजमाइश भी अब शांत रहे
इसी दुआ की अब बजती है शहनाई।।
स्नेह प्रेमचंद
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