कहीं नहीं जाते लेखक,
अमर हो जाते हैं उनके विचार।
विचरता रहता है लेखन
उनका कायनात में,
एक अलग ही होता है
उनका विविध विहंगम संसार।।
हर मर्म शब्दों में पिरो दिया,
जाने कितनी ही गहरी अनुभूतियों को हवाल ए इजहार किया,
बेबाक लेखिका ने,सामाजिक मुद्दों को अपनी लेखनी से रंग दिया,
ऐसी भावों की रंगरेज रही वे,
शब्दों और भावों के योग से रच देती थी चमत्कार।।
लेखक कहीं नहीं जाते,
सच में अमर हो जाते हैं उनके विचार।।
अपने समय से आगे की सोच रखी,
उसे सुपुर्द ए लेखनी किया,
*स्त्री सुबोधिनी* से व्यंगात्मक लेख लिख कर,
पुरुष प्रधान समाज को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर किया,
लेखक की सबसे बड़ी पूंजी उसका *लेखन* है,
इस बात को बखूबी सबको बता दिया,
संवेदनशील लेखिका भले ही आज नहीं हैं मध्य हमारे,
पर बड़ा विहंगम है उनका अमर लेखन संसार।
*देखा है तो इसे भी देखते* पढ़ कर लगता है,
मनोभावों को बखूबी चित्रित करने वाली,
धन्य थीं मन्नू जी कथाकार।।
लेखक कहीं नहीं जाते,
अमरता का निभाते हैं सुंदर किरदार।।
साहित्याकाश में आज अस्त हो गया एक चमकता नक्षत्र,
नाम है उसका मन्नू भंडारी।
अपने उम्दा लेखन से छू सकती है नभ, आज की स्वतंत्र सी नारी।।
लेखक के लिए पूरा जग ही होता है परिवार।
अल्फाजों की माला में पिरो कर भावों के मोती,
मन्नू जी बना दिया आपने अनमोल सा हार।।
सच में,कहीं नहीं जाते लेखक,
अमर हो जाते हैं उनके विचार।।।
*आंखों देखा झूठ* *महाभोज*और *आपका बंटी* से लोकप्रिय कालजयी उपन्यास निकले आपकी लेखनी से,
दिल छू गए असंख्यों का,सच में अनायास।।
लेखन सच में हो जाता है अमर,
गर दिल से किए गए हों प्रयास।।
बहुधा जिम्मेदारी संग जब जागृत हो जाते हैं अधिकार।
सच में एक लेखक का बदल ही जाता है संसार।।
लेखक कहीं नहीं जाते,
सच में अमर हो जाता है उनका संसार।।
चरित्र बल की ऊंचाई दिखती है हर रचना में,
मन्नू भंडारी सच में गुणों का अथाह भंडार।।
वाह री रचनाकार! वाह री रचनाकार।।
हिंदी साहित्य जगत की एक पीढ़ी का आज सच में ही हो गया है अवसान।
कहानी आंदोलन का मुख्य हिस्सा रही,भोपाल में जन्मी मन्नू महान।।
युग आएंगे,युग जाएंगे,भूल न पाएगा आपको ये संसार।
आपसे लेखक इस जगत में,
लेते नहीं जन्म सच बारंबार।
सच में लेखक कहीं नहीं जाते,
अमर हो जाता है उनका संसार।।
आजादी के बाद के भारत की आकांक्षी महिलाओं को आपने लेखन का विषय बनाया।
महिला किरदारों के संघर्ष और समाज में उनकी स्थिति का चित्रण
आपको बहुत ही मन भाया।।
अपने स्वतंत्र विचारों को पहना दिया परिधान अल्फाजों और भावों का,दे दिया सोच को सही आकार।
सच्ची और अनमोल संपति होते हैं व्यक्तित्व आपसे,
इस सत्य को जगत कर रहा स्वीकार।
सच में,लेखक कहीं नहीं जाते,
अमर हो जाते हैं इनके विचार।।
कहानी हों या हों उपन्यास,
पुरानी रूढ़ियों को तोड़ते रहे आपके महिला किरदार।
अपने स्वतंत्र अस्तित्व से बतियाना जिन महिलाओं को था स्वीकार।।
सच में,कहीं नहीं जाते लेखक,
अमर हो जाते हैं उनके विचार।।
पति राजेंद्र सिंह संग लिखा आपने उपन्यास *एक इंच मुस्कान*
प्रेम त्रिकोण के इतने सुंदर वर्णन का जिसमे किया बखूबी बखान।।
एहसासों को सच में मिल सकता है इतना सुंदर इजहार।
यह बताया आपकी लेखनी ने,
कितने अदभुत,कितने सुंदर विचार।
सच में,कहीं नहीं जाते लेखक,
अमर हो जाते हैं उनके विचार।।
*आपका बंटी*सा उपन्यास लिख,
सच आपने बना दिए कीर्तिमान।
मात पिता की शादी टूटने का क्या असर होता है बच्चों पर,
दिल को छूने वाला वर्णन,
जैसे धरा ने छू लिया हो आसमान।।
बालमन के मनोभावों पर जब चली
लेखनी आपकी,बाल मनोविज्ञान का समझा गई पूरा सार।
कांच सा दिल होता है बच्चों का,
उन्हे नहीं कर सकते दरकिनार।।
सच में,कहीं नहीं जाते लेखक,
अमर हो जाते हैं उनके विचार।।
*यही सच है* लघुकथा पर बनी फिल्म *रजनी गंधा*
मिला जिसे बड़ा सा इनाम।
कमाल की लेखनी चलाई मन्नू जी आपने,
आप, सच में कुदरत का अनमोल वरदान।।
आपने ऐसा कर के दिखा दिया,
शब्दों से कर दिए जाहिर हृदय के उदगार।
सोच, कर्म,परिणाम की बहा त्रिवेणी
जाने कितने ही दिलोदिमाग दिए संवार।।
सच में,कहीं नहीं जाते लेखक,
अमर हो जाते हैं उनके विचार।
दिल का सफर करते हैं लेखक,
अलग ही होता है उनका संसार।।
आज दैहिक रूप से भले ही न हों
आप बीच हमारे,
पर अमर हो गया आपका लेखन संसार।।
कर बद्ध हम कर रहे आज परम पिता से यह अरदास।
मिले शांति आपकी दिवंगत आत्मा को,प्रार्थना ही है हमारा प्रयास।।
माटी मिल गई माटी में,
हैं सबके जीवन में गिनती के श्वास।।
मन्नू भंडारी से भास्कर से चमकता रहेगा साहित्य आकाश।।
इस साहित्य आकाश में दिल छूने वाली मन्नू ही के होंगे सुंदर दीदार।
सच में कहीं नहीं जाते लेखक,
अलग ही होता है उनका संसार।।
स्नेह प्रेमचंद
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