जब रिश्तों में आ जाती है कोई दूरी,तब माँ सेतु बन जाती है,
जब रिश्तों में आ जाये कोई कड़वाहट,तब माँ शक्कर बन जाती है।
एक धागे में पिरो कर रखती है सब भिन्न भिन्न मोती,माँ पूरी माला बन जाती है।
और अधिक भी क्या कहना,माँ जीवन में सहजता लाती है,साँझ होते ही माँ याद आ जाती है।।
मां धरा पर ईश्वर का पर्याय है
मानो चाहे न मानो,सबसे अच्छी राय है
मां चांदी नहीं,सोना नहीं,मां तो सच में है कोहिनूर।
एक मां ही तो होती है ऐसी,
जो अपने से हमे कभी करती नहीं दूर।।
सुर,सरगम,संगीत है मां
सच में साची प्रीत है मां
सब्र की पराकाष्ठा है मां
धीरज का है महासागर
सच में धन्य हो जाता है जीवन
मां से अनमोल रतन को पाकर।।
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