पल आते हैं,पल जाते हैं
यादों के बाकी रह जाते है निशान।
चलता रहता है कारवां ज़िन्दगी का
जूझता रहता है इस सफर में इंसान।
एक दिन हो जाता है ये सफर पूरा
आत्मा बदल लेती है तन का परिधान।
जग से बेशक चले जाते हैं जाने वाले,
पर जेहन और जिक्र में रहते हैं उनके निशान।।
ये 2021ले गया बहुत ही खास को,
जख्मी सा दिल,सिसकते से अरमान।
हानि धरा की,लाभ गगन का,
सूना सा लगने लगा हो जैसे जहान।।
सजल हैं नयन,अवरुद्ध है कंठ,
चित है जैसे हैरान और परेशान।।
पल आते हैं,पल जाते हैं
यादों के रह जाते हैं निशान।।
स्नेह प्रेमचंद
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