हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक
आज का दिन है अति महान।
दशमेश गुरु गोबिंद सिंह का जन्मोत्सव आज,
नहीं भूलेगा वतन आपका अमर बलिदान।।
अति उत्साह और श्रद्धा से बनाया जाता है प्रकाशोत्सव,
व्यक्तित्व,कृतित्व दोनो ही महान।।
हिंदुत्व की रक्षा करने वाले,
बचा गए अपना हिंदुस्तान।
चार चार शहजादे वार दिए वतन पर,
नहीं भूलेगा कभी कोई आपका बलिदान।।
हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक
आज का दिन सच अति महान।।
*सवा लाख से एक लड़ाऊं,
चिड़ियों हों मैं बाज तडऊं,
तबसे गोबिंद सिंह नाम कहाऊं*
कह गए गुरु गोबिंद सिंह,
शौर्य और साहस से भरी दास्तान।
हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक,
प्रकाश पर्व की निराली सी शान।।
महान योद्धा,कवि,आध्यात्मिक गुरु
और परिचय क्या दूं आपका,
वतन की खातिर हुए कुर्बान।।
खालसा पंथ की स्थापना की आपने बैसाखी के दिन,
सच में बने आप हिंद की शान।।
खालसा वाणी *वाहे गुरु की खालसा,
वाहेगुरु की फतह* आपके मुख से ही हुई थी निसृत,
सच में ईश्वर का फरमान।
खालसा पंथ का रहा उद्देश्य *धर्म की स्थापना और मुगलों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाना*
भली भांति आपको था ये ज्ञान।।
हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक,
आज का दिन सच में अति महान।
लख लख बधाई प्रकाश उत्सव की,
नहीं भूलेगा वतन आपका अमर बलिदान।।
खालसा पंथ में बताए पांच सिद्धांत जो आपने,कहा जाता है उन्हे पांच कंकार।
*केश, कड़ा, कृपाण,कच्छा,कंघा*
जिनका पालन करना हर सिख का अधिकार।।
अलख जलाई जो इस पंथ की आपने,
आज भी कण कण में विद्यमान।
हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक,
आज का दिन सच बड़ा महान।
नहीं भूलेगा वतन आपका अमर बलिदान।।
ओ महान योद्धा!
हिंद की शान के लिए
सच में ही आपने सब कुछ लुटा डाला।
सच में लाखों में कोई एक ही होता है ऐसा व्यक्तित्व अद्भुत निराला।।
महान पुरुष कहना सही होगा आपको,आप सा नहीं दिखता कोई विद्वान।
पंजाबी,फारसी,अरबी,संस्कृत,उर्दू
अनेक भाषाओं का आपको था उत्तम ज्ञान।।
सिखों के अंतिम और दसवें गुरु रहे आप,आज भी सबके दिलों में आपका नाम।।
हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक
आज का दिन सच में अति महान।
कलगी धर दशमेश पिता के प्रकाश
पर्व का है थोड़ा जितना करो बखान।।
हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक
आज का दिन सच बड़ा महान।
लख लख बधाई प्रकाश पर्व की,
नहीं भूलेगा वतन आपका वरदान।।
स्नेह प्रेमचंद
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