कोई दान न दो,कोई दहेज न दो,
कोई दौलत न दो,कोई जागीर न दो,
दो,बस बेटी को शिक्षा का मौलिक अधिकार।
शिक्षित होती है जब एक बेटी,
तो शिक्षित होती है पीढ़ियां,
हो जाता हैं शिक्षित परिवार।।
पढ़ेगी बेटी तो निखरेगी बेटी,
अलख ज्ञान की सर्वत्र जला पाएंगे।
एक नए युग का होगा आगाज फिर,एक सुंदर सा जहान हम बसाएंगे।।
ज्योत जलेगी जब शिक्षा की,
सर्वत्र मिटा देगी अंधकार।
उजियारे नृत्य करेंगे
हर घर आंगन में,
बस शिक्षा संग मिलें संस्कार।।
साहित्य,संगीत,कला की त्रिवेणी बह उठेगी निर्बाध गति से,
सुंदर हो जाएगा संसार।।
कोई दान न दो,कोई दहेज न दो,
दो बस बेटी को शिक्षा का मौलिक अधिकार।।
शिक्षित बेटी जब बनती है बहू शिक्षित,
पीहर संग ससुराल का भी हो जाता है उद्धार।।
एक नहीं दो घरों को रोशन करती है बेटियां,
एक बाबुल का आंगन,
दूजे सजन का घर बार।।
होता है जहां वास सरस्वती का,
लक्ष्मी और मां दुर्गा आ जाते हैं बिन बुलाए।
बह जाती है ज्ञान,धन और शक्ति की त्रिवेणी,कितने मधुर से होते हैं ये साए।।
इन सायों की छाया तले, हर बिटिया का सौभाग्य रहे बरकरार।
कोई दान न दो,कोई दहेज न दो,
कोई दौलत न दो,कोई जागीर न दो,
दो बेटी को शिक्षा का मौलिक अधिकार।।
शिक्षित है बेटी तो अनेक कुरीतियों
पर लग जाएगा स्वाभाविक रूप से विराम।।
बढ़ती जनसंख्या,कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याओं का मिट जाएगा नामोनिशान।।
सही सोच और सही दिशा से,
एक स्वस्थ राष्ट्र का होगा निर्माण।।
शारीरिक और बौद्धिक विकास तभी संभव है जब शिक्षा की अलख जलेगी हर बेटी के द्वार।
शिक्षा की धरोहर तो चलती है फिर पीढ़ी दर पीढ़ी,
बेटी की शिक्षा से हो जन जन को सरोकार।।
दान न दो,कोई दहेज न दो,
कोई दौलत न दो,कोई जागीर न दो,
दो, बस बेटी को शिक्षा का मौलिक अधिकार।।
स्वाभिमान भरा जीवन जीने की,
बेटी को भी होती है दरकार।।
शिक्षित है बेटी,तो अन्याय और शोषण को,
भाग्य समझ नहीं करेगी स्वीकार।
शिक्षित है बेटी तो आर्थिक संबल का कंबल ओढ़ शान से जीवन देगी गुजार।।
बच्चों की प्रेरणा सदा होती है मां,
मां का वजूद,उनकी सोच का अक्सर होता है आधार।
आत्म सम्मान,आत्म स्वाभिमान, शिक्षित मां के अस्तित्व में हो जाता है शुमार।।
कोई दान न दो,कोई दहेज न दो,
कोई दौलत न दो,कोई जागीर न दो,
दो,बस बेटी को शिक्षा का मौलिक अधिकार।
वो भी लोकतंत्र की आधी आबादी है,उसके भी जुड़े हैं विकास से तार।।
शिक्षित है बेटी तो आत्म निर्भरता का अंकुर भी निश्चित ही प्रस्फुटित हो जाएगा।
एक और एक होते हैं ग्यारह,
परिवार का,आर्थिक,बौद्धिक स्तर खुद ही बढ़ जाएगा।।
लोकतंत्र की रीढ़ है,
आधी आबादी का शिक्षित होना।
किसी भी राष्ट्र के समुचित विकास हेतु, निश्चित है हर बेटी का शिक्षित होना।
अपने अधिकारों के लिए जागरूकता हेतु भी आवश्यक है बेटी का शिक्षित होना।।
आ जाएगी समझ जब ये जन जन को,राम राज्य का फिर हो जाएगा अवतार।
सच में सोने की चिड़िया बन जाएगा भारत,जब घर के आंगन की चिरैया को मिलेगा शिक्षा का उपहार।।
कोई दान न दो,कोई दहेज न दो,
कोई दौलत न दो,कोई जागीर न दो,
दो,बस हर बिटिया को शिक्षा का मौलिक अधिकार।।
धन्य है वो हर बेटी,
दिया जिसके मात पिता ने उसे अक्षर ज्ञान।
सोच की सरहद से भी परे है यह कल्पना,
गर न मिलता उन्हें अक्षर ज्ञान,कितने ही एहसासों से अनभिज्ञ हो जाता ये जहान।।
शिक्षित है बेटी तो असीम अनंत संभावनाओं के खुल जाते हैं द्वार।।
*सर्वे भवन्तु सुखिन* तभी संभव है
जब हर बेटी का खुला होगा शिक्षा का संसार।।
कोई दान न दो कोई दहेज न दो,
कोई दौलत न दो,कोई जागीर न दो,
दो,बस बेटी को शिक्षा का मौलिक अधिकार।
कल खेल में हम हों न हों,
पर खुशियों का उसके जीवन में हो सदा संचार।।
शिक्षा से बढ़ कर कोई नहीं,अमूल्य
बेशकीमती नायाब उपहार।।
*गण और तंत्र* दोनो को याद रहे ये अपनी जिम्मेदारी, ताकि जागृत हो सके बेटी के अधिकार।।
सुमन रावल
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