कोई अतिशयोक्ति ना होगी।
*रोशनी ए चिराग* कहा जाए गर मां को,तो वो सच्चे एहसासों की उम्दा अभिव्यक्ति होगी।।
*अल्फाज ए किताब*कहा जाए मां को,तो भी इतना ही सही होगा,
जितना बच्चे में मासूमियत का होना।।
*गजल ए रूहानियत* कहा जाए गर मां को,तो वो भी सागर में नीर होने जैसा होगा।।
*धड़कन ए दिल* गर कहा जाए मां कोतो ये शब्दों की नहीं,
भावों की खूबसूरती होगी।।
"प्रकृति की हरियाली* कहना भी मां को सही होगा।
*ऊषा की लालिमा*
*सावन की फुहार*
*आफताब का तेज*
*इंदु की ज्योत्सना*
*कायनात में चेतना*
*चेतना में स्पंदन*
*चित में जिजीविषा
,*नृत्य में थिरकन*
*संगीत में सुर*
*माटी में महक*
*चिरैया में चहक*
*धरा में धीरज*
*गगन में ऊंचाई*
*सागर में गहराई*
*कंठ में आवाज*
*गीत में साज*
*परिंदे में उड़ान*
*मानस में राघव*
*गीता में शाम*
*मंदिर में घंटी*
*मस्जिद में अजान*
* तन में श्वास*
*मन में विश्वाश*
*दीए में तेल*
*पेड़ में छांव*
*मारवाड़ में पानी*
*शीत में सूरज*
*पायल में घुंगरू*
*सुर में ताल*
*गंगन में तारे*
*मेंहदी में लाली*
*इंद्रधनुष में सात रंग*
*आईने में प्रतिबिंब*
*आग में गर्मी*
*नैनो में ज्योति*
*मंदिर में मूर्त*
*सागर में लहर*
*नदी में गंगा*
*वाणी में मिठास*
*साबुन में झाग*
*हीरे में दमक*
*दूध में सफेदी*
*घड़ी में समय*
*जिंदगी में गति*
*भगति में भाव*
*कलम में स्याही*
*सोने में आभा*
*पर्वों में दीवाली*
*उत्सव में उमंग*
*बगिया में फूल*
*नाव में माझी*
*गीता में ज्ञान*
*चित में विज्ञान*
*धरा पर जल*
*शादी में शंहनाई*
*सावन में पुरवाई*
*भात में भाई*
तन में सांस
किस किस उपमा से अलंकृत करूं मां को??????
हर विशेषण पड जाता है छोटा मां के ट्रेन जैसे धड़धड़ाते हुए व्यक्तित्व के आगे,थरथराते हुए पुल सा महसूस करती हूं मैं।।
और परिचय क्या दूं तेरा????????
कुछ भावों के लिए अल्फाज बने ही नहीं,काश बने होते तो मां के बारे में सही से लिख पाती।।
स्नेह प्रेमचंद
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