अच्छा है मसरूफ रहती हूं,
वरना ये यादों की सुनामी संग अपने बहा कर ले जाने को है तैयार।
कुछ लोग होते ही ऐसे हैं जग में,
जानते हैं जो,प्रेम ही हर रिश्ते का आधार।।
तूं तो अग्रणीय थी सबसे इनमे,
काबिल ए तारीफ रहा सदा तेरा व्यवहार।
कोई रोष नहीं,कोई क्रोध नहीं,
कोई अपेक्षा नहीं,कोई रंजिश नहीं,
मुस्कान लबों पर रहती थी तेरे हर बार।।
खुद मझधार में होकर भी,
साहिल का पता जाने कितनों को ही बताती थी।
इतनी हिम्मत,ऐसी सोच,ऐसा व्यवहार
ओ मेरी मां जाई! कहां से लाती थी???
तूं रुकी नहीं,तूं थकी नहीं,
किसी संघर्ष से ना मानी हार।
प्रेम कपाट सदा खोल कर रखे,
करुणा,विनम्रता रही सोच में सदा शुमार।।
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