आज ही के रोज शहीद हुए थे 44 जवान,आ गई थी उनके जीवन की शाम।।
हम महफूज रहें,खुश रहे,
दे गए हमारे लिए वे जीवन दान।।
बहा कर अपने लहू की धारा,
मां भारती का आंचल संवारा,
कर गए मां की आन,बान और शान की हिफाजत,हो गई मां सच में धनवान।।
समाज पर ऋण रहेगा सदा आपका अमर बलिदान।
नमन है उन शहीदों को,जिनका कतरा कतरा देश पर कुर्बान।।
मातृ भूमि की संप्रभुता और अखंडता के लिए गंवा दी उन्होंने अपनी जान।।
एक यही अभिलाषा है,
सिर झुके उनकी शहादत में,
शहीद हो गए हो हमारी हिफाजत में।।
बौना हुआ हिमालय आज,
सागर में भी कम हो गया पानी।
ए मेरे वतन के लोगों!
जरा नहीं बहुत याद करो उनकी कुर्बानी।।
टूटे चूड़ी,कंगन,मां के आंचल और कितने ही सिंदूर उजड़े।
जाने कितने ही बच्चे अपने पिताओं से बिछड़े।।
आतंकवाद के विरुद्ध हम सभी को एकजुट करता है आपका त्याग।
आप सब तो यूं महकोगे फिजा में,
जैसे पुष्प में महकता है पराग।।
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