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ये कौन गया है महफिल से???? A tribute to Melody Queen Lata Mangeshker ji(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 ये कौन गया है महफिल से,
जो हैरान-परेशान स्वर लहरियां हैं, व्यथित व्याकुल और खामोश???
  
खामोशी भी कर रही कोलाहल,
जोश ने भी खो दिए हैं होश।

 सातों सुर आवास खड़े हैं,
 सरगम भी हो गई है बेहोश।

 वह *स्वर कोकिला*स्वर मल्लिका*  * स्वरसम्राज्ञी* लता जी थी,
मधुर वाणी जिनकी,
 जन जन को कर देती थी मदहोश।।

*भारत रतन* लता मंगेशकर भारत की सबसे चहेती लोकप्रिय और आदरणीय गायिका, जो सात दशकों के अपने कार्यकाल से हर दिलो दिमाग,जेहन में सदा के लिए बसेरा कर गई। सबकी दीदी सबकी सोच का एक हिस्सा बन गई।

 36 भाषाओं में लगभग गाने गाए आपने तीस हजार।
 *भारत रतन* *स्वर सम्राज्ञी* पूरा वतन आपका परिवार।। 

शब्द नहीं, भावों को गाया है आपने, 
जाने कितने ही टूटे दिलों को,
 सहलाया है आपने,
 प्रेम के उच्चतम शिखर पर अपनी आवाज को पहुंचाया है आपने,
 माटी की सौंधी महक सी महकती रही आप जर्रे जर्रे में,
 वतन से प्रेम करना सिखाया है आपने।।
गीत संगीत कैसे आत्मा को मिला देता है परमात्मा से, कह कर नहीं,
कर के दिखाया है आपने।।
संगीत से बढ़ कर कोई थेरपी नहीं,
सिद्ध कर दिखाया है आपने।।
मन के समस्त तार झंकृत कर देती है आवाज आपकी,
कला को सत्यम,शिवम,सुंदरम बनाया है आपने।।

जिंदगी और कुछ भी नहीं,तेरी मेरी कहानी है,इस कहानी को हर दिल को सुनाया है आपने।।
रहती थी तो भी महकती थी,ना रह कर तो और भी अधिक कोई कैसे महक सकता है,ये कर दिखाया है आपने।।

* ए मेरे वतन के लोगों* गाना हर दिल में सदा के लिए जैसे बस गया है।। 

आपने अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया। सच्चे प्रयास लगन और समर्पण जब इतने सच्चे हों तो उपलब्धियां सफलता के सारे द्वार खटखटा भी देती है। पार्श्व गायिका के रूप में आपकी पहचान अतुलनीय है। फिल्मी गायन में आपका योगदान अद्वितीय और महानतम है।
 कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 इंदौर मध्यप्रदेश में हुआ था। पिता दीनानाथ मंगेशकर कुशल रंगमंचीय गायक थे। 5 साल की उम्र से ही पिता ने लता जी को संगीत सिखाना शुरू कर दिया था। लता जी सदा ही ईश्वर प्रदत सुरीली आवाज, जानदार अभिव्यक्ति और अविश्वसनीय क्षमता का अद्भुत उदाहरण रही हैं। शायद यही कारण था कि उन्हें बहुत जल्दी पहचान मिल गई।5 साल की उम्र में ही एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत बेशक अभिनय से हुई परंतु दिलचस्पी सदा *संगीत* में ही रही।।

 और परिचय क्या दूं तेरा???

सागर से पूछा जब मैंने," कितनी है तेरी गहराई????
हौले से मुस्कुरा कर बोला,
जितनी गहरी लता जी ने कोई भी सरगम है गाई।।

*चेतन और अचेतन दोनों ही मन में बचपन में लता मंगेशकर का नाम समाया।
 जब जिंदगी का परिचय हो रहा था संज्ञा सर्वनाम विशेषण से,
 इस नाम ने जेहन में अपना एक स्थान बनाया*

और परिचय क्या दूं तेरा???
 मां सरस्वती ने तुझे अपनी सबसे प्रिय पुत्री बनाया।।
ओ स्वर कोकिला! स्वर मल्लिका! संगीत क्षेत्र में आपने एक छत्र परचम लहराया।।
सात नहीं,अब तो हो जाए,
 आठवां सुर शुरू, *लता सुर*
 मुझे तो यही समझ में आया।।

संगीत से ही प्रेम,संगीत से ही सगाई,संगीत का ही सिंदूर अपनी मांग सजाया।।
संगीत प्रेम में डूबी ऐसी,फिर और कोई साहिल नजर ना आया।।
संगीत ही माझी,संगीत ही पतवार,
संगीत को जीवन आधार बनाया।।
कितना अभ्यास,कितना रियाज किया होगा आपने,
आपकी आवाज का जादू,पूरी कायनात में देख समझ में आया।।

 संघर्ष की कहानी सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। ना ही राहें आसान होती हैं। शुरु शुरु में तो संगीतकारों ने पतली आवाज के कारण आपको काम देने से भी मना कर दिया था। आप की तुलना उस समय नूरजहां से की जाती थी परंतु धीरे-धीरे अपनी लगन मेहनत और प्रतिभा के बल पर आप संगीत के आकाश में एक धूमकेतु से उदित हुई। अद्भुत प्रयासों ने अद्भुत सफलता की मांग सजा दी थी।फिल्मी जगत की *कोहिनूर* बन गई। अपनी ही नहीं अपने भाई-बहनों को भी संगीत क्षेत्र में बहुत ऊंचाइयों प्रदान की।

*मंगेशकर्स कहो या कहो मसीहा संगीत के, लगता है जैसे हो एक ही बात।
मां सरस्वती की कृपा से मिली परिवार को विशेष संगीत की सौगात*

* सच में आपकी आवाज ही बनी आपकी पहचान।
 बहुत कम लोग होते हैं जग में, जिनका *व्यक्तित्व और कृतित्व* दोनों ही होते हैं महान।।
 तन बेशक शांत हो गया हो आपका, पर जिक्र और जेहन में सदा रहेंगे विद्यमान।

आपके कुछ प्रसिद्ध गीत *एक प्यार का नगमा है*
* ए मेरे वतन के लोगों*
*आजा रे परदेसी*
 *अल्लाह तेरो नाम*
 *इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा* *एहसान तेरा होगा मुझ पर*
* रहे ना रहे हम महका करेंगे*
* हमने देखी है इन आंखों में*
 *सत्यम शिवम सुंदरम*
* यह जिंदगी उसी की है*
 *अजीब दास्तां है*

 यह इतनी लंबी फेहरिस्त है आप के गानों की, सब का जिक्र संभव नहीं। पर जेहन में, फिजा में, हर गाना सदा के लिए गूंजता रहेगा आपका।

* त्याग तपस्या समर्पण साधना संयम रियास*
 इन सब से लबरेज रही आप की मधुर आवाज।।

* गानों की संख्या तक ही सीमित नहीं था आपके व्यक्तित्व का विहंगम आकार।
 निजी संबंधों को सींचा करती थी संवेदना से,
 सोच की सरहद से भी परे है आपकी सोच का आधार।।

 कुछ लोग भौतिक जगत से बेशक चले जाएं पर जिक्र और जेहन से कभी नहीं जाते।
 इस फेहरिस्त में नाम बहुत ही ऊपर है आपका लफ्ज़ नहीं लहजे सब कुछ कह जाते।।

 *संगीत की संस्था *कहा जाए आपको तो सही होगा।

* संगीत का आठवां सुर, *लता सुर* कहा जाए आपको वह भी सही होगा।
 *महान से महानतम का सफर* कहा जाए वह भी सही होगा।
 *फर्श से अर्श तक का कारवां*कहा जाए एकदम तर्कसंगत होगा।।
 *आलौकिक आत्मा प्रतिभा संपन्न* कहा जाए वह भी सही होगा।
 *देश की बेटी नहीं, जग की बेटी* कहा जाए तो भी सही होगा।
* स्वर कोकिला,स्वर सम्राज्ञी ,स्वर मल्लिका* कहा जाए तो भी सही होगा।

 मेरी सोच की सरहद जहां तक जाती है,
उससे भी आगे मुझे तो आपकी आवाज नजर आती है।।

 हर विशेषण छोटा पड़ जाता है आप जैसी दिग्गज गायिका के लिए।

 तेरे बिना जिंदगी से सच में गिला भी है शिकवा भी है शिकायत भी है ओ भारत की बेटी।
 *सांस्कृतिक राजदूत* रही आप ओ स्वर कोकिला! हर मयार पर उतरी खरी जो आप हैं वह भारत की बेटी।।

92 वर्ष की महान जिंदगी को कुछ पलों में समेटना असंभव है फिर भी एक छोटी सी मेरी कोशिश है आपके बारे में कुछ कहने की।।

 कला सत्य है शिव शिवम है और सुंदरम भी,कला का रूह और दिल से गहरा नाता है।
समय देश धर्म जाति सरहद से परे होती है कला,
आपको जानकर तो यही समझ में आता है।।

 *ना अल्फाज समर्थ ना भाव सक्षम हैं जो कर सके आपके व्यक्तित्व का बखान।
 फर्श से अर्श तक का सफर तय किया आपने,
रोया रोया कहे आपको अद्भुत महान।।
 एक बात आती है समझ में,
 भूली नहीं,
 आप तो पल पल याद आने वाली हो दास्तान।।
 स्वर कोकिला स्वर सम्राज्ञी अनुकरणीय रहेंगे, आपके संगीत क्षेत्र में कदमों के निशान।।
हानि धरा की,लाभ गगन का,
स्वर्ग हो गया और धनवान।।

 संगीत का उच्चतम मकाम हासिल करने वाली कोई दूसरी लता जी फिर कभी नहीं होंगी।।

 *हो बात जो उनके जाने की,
 नयन सजल तो होने थे।
 धुआं धुआं सा मन, अवरुद्ध कंठ, आकुल मन तो होने थे।।
 संगीत के हस्ताक्षर की उपाधि से नवाजा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी,
 आज सुर लय ताल सरगम सब स्तब्ध उदास तो होने थे।।

 6 फरवरी 2022 को मुंबई ब्रीच कैंडी अस्पताल में यह सुरीली आवाज सदा सदा के लिए खामोश बेशक हो गई परंतु अपनी आवाज के दम पर ही वे इस चराचर जगत में सदा विद्यमान रहेंगे कलाकार भला कहीं जाते हैं कलाकार कहीं नहीं जाते, अपनी कला द्वारा सदा सदा के लिए अमर हो जाते हैं सच में आप रहे या ना रहे पर आपकी आवाज सदा महकती रहेगी।।

जब तक तेज है आफताब में और इंदु में ज्योत्सना है बरकरार।
जब तक प्रकृति में हरियाली है और
मां में ममता है बेशुमार।
तब तक लता जी का नाम कायनात में रहेगा शुमार।।
             स्नेह प्रेमचंद

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