त्याग,समर्पण,साधना,
संयम और रियाज।
यही परिचय तो रहा सदा आपके घर का, अमर रहेगी सदा आपकी आवाज।।
*पद्म भूषण, पद्म विभूषण,भारत रत्न, स्वर सामर्ज्ञी, स्वर कोकिला*
हर विशेषण पड जाता है छोटा,
नहीं आप किसी भी परिचय की मोहताज।
आत्मा को परमात्मा से मिला देता है संगीत, कह कर नहीं, कर के आपने बखूबी दिखाया।
आवाज ही पहचान रही आपकी,
अति विशाल व्यक्तित्व का रहा आपका साया।।
रहे न रहें आप महकेगी सदा,कण कण में गूंजेगी आपकी आवाज।।
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