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तर्क और आस्था

ek din tark ne kha aastha se,sabka malik ek h,kya isse sidh ker paaogi  
mand mand muskaee aastha,phir phute uske mukh se yeh udgaar
sunker reh gya tark bhonchhka,kiya ker jod aastha ko namaskaar
aastha bholi thi,,,,bhav prabal ho ger manav man mein,to prabhu daude chle aate hein
kasht ho ger uske priy bhagat ko koi.use apne uper late ehin
shardha bhi h meri behna,h choli daman ka hum dono ka sath
tumne khoee sari umr sidh karne mein hi,ant samay kya aaya tere hath
nhi jawab tha tark ke paas koee,aastha ke samne kiya jhukna sweekar

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