जो बीत गया है वो,
वो दौर न आएगा।
इस दिल मे सिवा तेरे,
कोई और न आएगा।
तू कहीं भी गयी ही नहीं,
अहसासों में रहती है,
जैसे गंगा की धारा हो,
गंगोत्री से बहती है।।
तू सोच में है मा जाई,
संस्कारों में भी है तू,
हर काम के ढंग में तू,
हर जीवन के रंग में तू।।
चाहे खुशी हो या कोई गम,
ज़िक्र तेरा ही आएगा।
कभी कह देंगे लब थोड़ा,
कभी मौन रुलाएगा।।
जो बीत गया है वो,
वो दौर न आएगा।
इस दिल में सिवा तेरे
कोई और न आएगा।।
जिंदगी के सफर की
तूं ऐसी मुसाफिर,
जो बहुत पहले ही स्टेशन पर
उतर गई।
लगता था अभी तो संग और चलेगी,
इस आभास को मिथ्या कर गई।।
हो जिसकी चाहत इतनी दिल को,
सच में ऐसा कोई और ना आएगा
जो बीत गया है वो दौर ना आएगा।।
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