Skip to main content

A tribute to Mahadevi Verma लेखक कहीं नहीं जाते(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 लेखक कहीं नहीं जाते,
यहीं रहते हैं सदा,
फिजा में विचरण करते रहते हैं उनके विचार।
*हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती*
 महादेवी वर्मा जी को,
आज उनकी जन्म जयंती पर 
शत शत नमस्कार,शत शत नमस्कार।।

एक व्यक्तित्व अनेक कृतित्व,
शब्दों की ही नहीं,
भावों की भी कुशल शिल्पकार।
बार बार नहीं लेते जन्म, 
धरा पर इनके जैसे अदभुत फनकार।।
*मैं नीर भरी दुख की बदली*
काव्य की ये पंक्ति उनकी,
 दिखा देती है नारी पीड़ा का संसार।।

*नीहार* नीरजा* रश्मि*यामा*
चारों रचनाएं भावों का सुंदर तराना।

*अग्निरेखा*आत्मिका*अतीत के चलचित्र*या फिर *स्मृति की रेखाएं*
हर रचना में दिल उलीच कर रख दिया आधुनिक मीरा ने,
ऐसा साहित्य कहीं और ना पाएं।

*पथ के साथी*परिक्रमा*और *प्रथम आयाम*
अल्फाजों संग बखूबी तराशा है आपने भावों का काम।।
बहुत खास होते हैं व्यक्तित्व ऐसे,
नहीं होते हैं आम,नहीं होते हैं आम।।

*निरंतरा*संधिनी*स्मारिका*
*सप्तपर्णा*सांध्यगीत*
हर रचना है सुंदर भावों की प्रकाष्ठा
चाहे *दीपशिखा* हो या हो फिर *दीपगीत*
भावों की स्याही में डूबो अल्फाज,
समृद्ध कर गई साहित्य का संसार।
लेखक कहीं नहीं जाते,यहीं रहते हैं,
फिजा में विचरण करते रहते हैं उनके विचार।।


*सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्री हिंदी की*आधुनिक मीरा* का मिला खिताब।
हिंदी साहित्य में छायावाद युग के चार मुख्य स्तंभों में आता है नाम इनका,
इनका जीवन अनुभव की बृहद किताब।।
पदम विभूषित महान लेखिका
नहीं लगा सकते इनकी लेखनी का कोई हिसाब।।।

आजादी से पहले का भी,
आजादी के बाद का भी भारत बड़ी पैनी नजर से देखा,
देखा समाज के भीतर फैला हाहाकार।
रूदन देखा,क्रंदन देखा, करुण होकर की कोशिश, हो दूर अंधकार।।
इतनी शक्ति थी इनके काव्य में,
कर सके जो व्यापक समाज सुधार।।
लेखक कहीं नहीं जाते,
यहीं रहते हैं,
विचरण करते रहते हैं उनके विचार।।

नारी के प्रति *चेतना भाव*जगा कर,
उनकी मन की पीड़ा का किया स्नेह श्रृंगार।
जन जन की ऐसी पीड़ा दिखाई,
पाठक ही नहीं समीक्षक भी हुए प्रभावित *एक नहीं सौ सौ बार*

खड़ी बोली में *कोमल शब्दावली* का किया विकास।
संस्कृत बांग्ला के चुने कोमल शब्द, हिंदी का पहनाया जामा अति खास।।

लेखन ही नहीं,संगीत की भी थी ये *आधुनिक मीरा* जानकार।
गीतों का नाद सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली भी रही, इनकी अति दमदार।।

अध्यापन को अपना कार्य क्षेत्र बनाया।
शिक्षा के चमन में *काव्य का कमल*खिलाया।।
*प्रयाग महिला विद्यापीठ की बनी रही प्रधानाचार्य*
आजीवन समाज को बहुत कुछ सिखाया।।
हुआ बालविवाह बेशक उनका,
पर जीवन अविवाहित सा बिताया।
कलम की धनी,अनुभव की रईस,
व्यक्तित्व उनका अति दमदार।
लेखक कहीं नहीं जाते,
यही रहते हैं
फिजा में विचरण करते रहते हैं उनके विचार।।

 *प्रतिभावान कवयित्री गद्य लेखिका महादेवी वर्मा*
*आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा*
*हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती कहा जिन्हे निराला जी ने महादेवी वर्मा*
*साहित्य संगीत में निपुण और साथ में कुशल चित्रकार महादेवी वर्मा*
*सृजनात्मक अनुवादक महादेवी वर्मा*
*छायावाद के चार मुख्य स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा*
*समाज सुधारक महादेवी वर्मा*
*मिले जिन्हे हिंदी के सभी महत्वपूर्ण पुरस्कार महादेवी वर्मा*
और परिचय क्या दूं तेरा???
आज तेरी जन्म जयंती पर शत शत नमस्कार।।

*ध्रुव तारे सी प्रकाशमान हैं जो भारत के साहित्य आकाश में*
कोई और नहीं हैं वे महादेवी वर्मा,
पूर्ण सहयोग है जिनका वतन के विकास में।।

आजीवन पूजनीय रही सदा,
गत शताब्दी में *सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यकार*
अपने अतुलनीय योगदान के लिए ही मिला उन्हें *ज्ञानपीठ पुरस्कार*

धन्य हुई धरा उत्तर प्रदेश की,
जहां फर्रुखाबाद में इन्होंने लिया जन्म।
एक ही नाम के होते हैं हजारों,
सच्चा परिचय पत्र होते हैं हमारे कर्म।।
सात पीढ़ियों के बाद जन्म हुआ पुत्री का,हुआ धन्य उनका पूरा परिवार।

झूम उठे खुशी से बाबू बांके बिहारी
कहा घर की देवी महादेवी,
यही है उनके नामकरण का सार।।
अपने ज्ञान और अनुभव से लाई उजियारे,मिटा गई अंधकार।
लेखक कहीं नहीं जाते,यहीं रहते हैं,
विचरण करते रहते हैं उनके विचार।।
           स्नेह प्रेमचंद



Comments

Popular posts from this blog

वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक

सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व

बुआ भतीजी