बूंद बूंद बनता है सागर,
लम्हा लम्हा बनती है जिंदगानी।
जिंदगी और कुछ भी नहीं,
सच है तेरी मेरी कहानी।।
कैसे बीते बरस 29
हो ही नहीं पाया अहसास।
कुछ नए मिले,कुछ पुराने बिछड़े
कुछ आम रहे,कुछ बन गए अति खास।।
समय के गर्भ से घटनाएं लेती रही जन्म।
हम भी करते रहे हमारे जीवन के कर्तव्य कर्म।।
यूं ही तो इतिहास दोहराता है खुद को,
पहले बुआ फिर भतीजी हो जाती है विदा,और चली जाती है साजन के द्वारे।।
साजन सजनी रहते हैं संग एक दूजे के, सुख दुख दोनो ही साथ निभाते है।
सच रिश्तों के भी रूप बदल जाते हैं।।
समय संग ये नाता और भी गहराता है
जैसे हिना का रंग धानी से श्यामल हो जाता है।।
आप के जीवन की बगिया यूं हीं महकती रहे।
आपके घर आंगन में चिरैया यूं हीं
चहकती रहें।।
मतभेद बेशक हो जाएं,पर मनभेद सदा ही दूर रहें।।
खुशियां देती रहें दस्तक जीवन में,
आजमाइश सदा ही दूर रहें।।
मुबारक मुबारक शादी की सालगिरह मुबारक,बहन आपकी दिल से कहे।।
स्नेह प्रेमचंद
Wah..bahut khoobsurat likha hai.. thank you so much dear
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