कुछ लोग जेहन में ऐसे बस जाते हैं
जैसे बच्चे घर में घुसते ही मां को आवाज लगाते हैं।।
जब जिंदगी का परिचय हो रहा था संज्ञा,सर्वनाम और विशेषण से,
तब से लाडो था साथ तेरा।
एक तेरे ना होने से पल पल दरक रहा है वजूद मेरा।।
अल्फाजों से ऊपर,भावों से भी गहरे मन के रोएं रोएं में बस जाते हैं।
इतनी गहरी पैठ होती है इनकी चित में,बिन दस्तक ही भीतर चले जाते हैं।।
हानि धरा की लाभ गगन की,
तेरे बिछौडे से मुझे तो यही सार समझ में आते हैं।।
जिंदगी का सफर भी कैसा सफर है,कुछ नए मिलते हैं,कुछ पुराने बिछड़ जाते हैं।।
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