लेखक कहीं नहीं जाते,यहीं रहते हैं सदा,
फिजा में विचरण करते रहते हैं उनके विचार।
*हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती*
महादेवी वर्मा जी को,आज उनकी जन्म जयंती पर शत शत नमस्कार।।
सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्री हिंदी की, आधुनिक मीरा का मिला खिताब।
हिंदी साहित्य में छायावाद युग के चार मुख्य स्तंभों में आता है नाम इनका,
इनका जीवन अनुभव की किताब।।
आजादी से पहले का भी,आजादी के बाद का भी भारत बड़ी पैनी नजर से देखा,देखा समाज के भीतर फैला हाहाकार।
रूदन देखा,क्रंदन देखा, करुण होकर की कोशिश हो दूर अंधकार।।
इतनी शक्ति थी इनके काव्य में,
कर सके जो व्यापक समाज सुधार।।
नारी के प्रति चेतना भाव जगा कर,
उनकी मन की पीड़ा का किया स्नेह श्रृंगार।
जन जन की ऐसी पीड़ा दिखाई,
पाठक ही नहीं समीक्षक भी हुए प्रभावित एक नहीं सौ सौ बार।।
खड़ी बोली में कोमल शब्दावली का किया विकास।
संस्कृत बांग्ला के चुने कोमल शब्द हिंदी का पहनाया जामा अति खास।।
लेखन ही नहीं,संगीत की भी थी ये आधुनिक मीरा जानकार।
गीतों का नाद सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली भी रही इनकी दमदार।।
अध्यापन को अपना कार्य क्षेत्र बनाया
शिक्षा के चमन में काव्य का कमल खिलाया
प्रयाग महिला विद्यापीठ की बनी रही प्रधानाचार्य,
आजीवन समाज को बहुत कुछ सिखाया।।
हुआ बाला विवाह बेशक उनका,
पर जीवन अविवाहित सा बिताया।
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