Respected everyone,
आज हम सब यहां पर डॉ अंजु कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित हुए हैं।सर्वप्रथम मैं चंद पंक्तियों में यह श्रद्धांजलि अंजु की दिव्य दिवंगत आत्मा को समर्पित करती हूं।।
*करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यह अरदास*
मिले शांति दिव्य दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।
माटी मिल गई माटी में,
दें निज धाम में प्रभु अब उनको वास ।।
कब *है* बदल जाता है *था* में,
हो ही नहीं पाता विश्वास।।
नहीं जानते हम कब आ जाए शाम जीवन की,
कौन सी हो हमारी अंतिम श्वास।।
हे ईश्वर! शक्ति देना शोक संतप्त परिवार और समस्त परिजनों को,
है,कर देना पूरी ये आस।।
ये कौन गया है महफिल से???
जर्रा जर्रा लगने लगा है उदास।
फिज़ा भी आज है नम नम सी,
है जाने वाला बहुत ही खास।।
और अंजु से खास सच में कौन हो सकता है???
निशब्द हूं,हैरान हूं,परेशान हूं,
अवरुद्ध कंठ में एक बड़ा सा गोला अटक गया है।
नयन सजल,धुआं धुआं सा मन,सीने में जलन,
जैसे अपनी राह से ,कोई राही भटक गया है।।
हम सात भाई-बहनों में सबसे छोटी, सबसे प्यारी, सबसे न्यारी,अंजु आज भले ही दैहिक रूप से हमारे बीच नहीं है पर हमारे जेहन में, एहसासों में, जज्बातों में, बातों में, ज़िक्रों में, किस्से कहानियों में, सदा दिनकर सी दैदीप्यमान रहेगी।।
*सच में कुछ लोग जिंदगी की किताब के हर पन्ने पर कभी न मिटने वाले हर्फों की तरह, ताउम्र के लिए जेहन में अंकित हो जाते हैं।
इस फेहरिस्त में अंजु का नाम बहुत ऊपर आता है। घर में सबसे छोटी अंजु, सबसे बड़ा सूरज बनकर उभरी।
"दिनकर सा बनकर उदित हुई तूं,
जाने क्या-क्या कर गई रोशन अपनी उजियारे से।
प्रेम सुता! प्रेम का सच्चा पर्याय थी तूं, आती है गवाही,हर गली, कूचे,गलियारे से।।
हरियाणा के शहर रोहतक से जिंदगी की शुरुआत करने वाली ने भले ही अंतिम श्वास जर्मनी के बर्लिन शहर में ली हो पर उसके जीवन की लौ जाने कितनी ही शहरों, कितने ही दिलों को रोशन कर गई।फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाली ओ पुरोधा! संघर्षों से भरा तेरा जीवन सच में सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
बीमारियों से जिंदगी की जंग जीतने वाली अंजु! तेरा हर संबोधन, तेरा हर उद्बोधन बड़ा ही न्यारा था।
सौ बात की एक बात है तेरा *औरा* ही बहुत ही प्यारा था।।
सबको लगता था तूं उस की ही खास है,
तूने अपनी प्रेम बगिया को,
बड़ी मशक्कत से संवारा था।।
कई बार सोचती हूं,
*यूं हीं तो नहीं ये सावन भादों इतने गीले गीले से होते हैं।
बिछड़ते हैं जब बहुत ही अपने,
नम नम नयन खुल कर रोते हैं।।
People say," you are no more"
I say, "you will live more and more in our hearts dear"
कुछ लोगों को ईश्वर बेहद फुर्सत से बनाता है।
पर जिंदगी उन्हें थोड़ी लंबी देना भूल जाता है।।
जादुई व्यक्तित्व की स्वामिनी,sweet spoken,very empathatic,
humble,down to earth, towering personality but very sober,so lively,so witty and having healthy sense of humour
अंजु के बारे में जितना कहो शायद उतना ही कम है। हम भाग्यशाली हैं जो पिछले 46 वर्षों से वह हमारे जीवन से जुड़ी थी और आगे भी ताउम्र जुड़ी रहेगी।
* सच में कुछ लोग जेहन में ऐसे बस जाते हैं, जैसे बच्चे घर में घुसते ही मां को आवाज लगाते हैं*
खूबियों से लबरेज थी, खामियां नदारद थी, साहित्य संगीत कला के प्रति विशेष ध्यान रखने वाली अंजु, एक ऐसा आईना थी, जिसमें सबको अपना ही अक्स साफ-साफ नजर आता था।*कनेक्टिविटी* अंजु की सबसे बड़ी खासियत थी।
करुणा के अलंकार तो चित में उसके सदा सुशोभित रहते थे ।।
कथनी में नहीं,करनी में था विश्वास उसे,कर्म ही उसकी कहानी कहते थे।।
सच में
*जुगनू नहीं आफताब थी तूं,
हर्फ नहीं पूरी किताब थी तूं*
जिंदगी बड़ी हो यह जरूरी नहीं,
पर जिंदगी जितनी भी हो, उसमें काम बड़े बड़े होने चाहिए, इस सत्य को सार्थक बड़ी सहजता से कर दिया तूने।।
Gone from our sight, but not from our heart our dear most shining Star
अच्छी बेटी, बहन, पत्नी,ऑफिसर, मां बहू, मित्र का बखूबी निभाया हर किरदार।।
*संकल्प से सिद्धि तक छिपे होते हैं जाने कितने ही प्रयास*
हर बाधा को पार करती गई तू और सच में बन गई तू अति खास।।
*अभाव का जिस पर प्रभाव ना था।
गिले शिकवे शिकायत करना जिसका स्वभाव न था।
सच में अधरों पर सदा मुस्कान लिए, जो कीचड़ रूपी इस जग में कमल सी खिली रही, हजारों में नहीं,लाखों में नहीं, करोड़ों में मेरी एक बहना थी।।
रोहिलास और कुमार्स का बड़ा अनमोल सा गहना थी।।
"जिंदगी के फोन में कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें हम सदा ऑनलाइन देखना चाहते हैं, पर जब कभी भी अचानक ही ऑफलाइन हो जाते हैं तो बाज औकात ईश्वरीय नेटवर्क पर झल्लाहट सी होने लगती है"
"कोई किसी को कोई किसी को प्यारा होता है, पर जो सबको प्यारा होता है,नाम है उसका अंजु कुमार।
कुदरत ने फुर्सत में बनाया था तुझे,
तप तप सोने से बन गई तूं कुंदन का हार।।
आजमाईशें भी आजमाती रही,
जिंदगी के हर मोड़ पर तुझे बारंबार।।
तूं भी एक सफल योद्धा की माफिक,
करती गई हर बाधा को पार।।
काबिल ए तारीफ रही तेरी हिम्मत,
काबिल ए तारीफ रहा तेरा व्यवहार।।
तूं ही केंद्र, तूं ही परिधि,तू ही तो बहना थी री व्यास।
जाने वाले भला कब लौटते हैं,
व्यर्थ लगाना है इसकी आस।।
जब जिंदगी परिचय करवा रही थी अनुभूतियों से, तब से लाडो था साथ तेरा।
जब से गई है तू जग छोड़कर पल पल दरक रहा है यह वजूद मेरा।।
हर शब्द पड़ जाता है छोटा,
जब करने लगती हूं तेरा बखान।
अधिक तो नहीं आता कहना मुझे,
तू कुदरत का अनमोल वरदान।।
चम चम चमकी जुगनू सी तूं,
दम दम दमकी दिनकर सी तूं,
नहीं लेखनी में वह ताकत,
जो कर पाए सच्चा इजहार।
भाव से दोस्ती है मेरी, शब्दों से नहीं, वरना बता देती प्रेम और जिजीविषा ने कैसे किया था तेरी जिंदगी का श्रृंगार।।
*हो बात जो उनके जाने की*
नयन सजल तो होने थे।
नहीं अल्फाज, थी क्या तुम हमारे लिए, संग तेरे, देखे सपने सलोने थे।।
प्रेम मापने का अगर कोई पैमाना निर्धारित होता तो निश्चित ही तेरा नाम उसमें सबसे ऊपर होता।
कुछ नहीं बहुत कुछ खास रहा होगा तुझमें,
यूं ही तो कोई आपा नहीं खोता।।
"Beauty with brain"
"Love with kindness"
"Smile with tolerance"
"Struggle with patience"
"Knowledge with love for art and music"
It was the address of your home O! mesmerizing personality,a perfect combination of heart body and noble soul.
You were like lotus in life's garden
combination of beauty and brain.
better to say,in the desert of life,dear you were soothing rain.
तेरे बिना जिंदगी से शिकवा भी है,गिला भी है,शिकायत भी है,
क्योंकि कल्पना से परे है तेरा यूं अचानक चले जाना।
सौ बात की एक बात है,
तूं रही सदा जीवन का सबसे मधुर तराना।।
कुछ नहीं सच में बहुत खास था तुझ में,यूं ही तो नहीं किसी का दीवाना
हो जाता यह जमाना।।
और परिचय क्या दूं तेरा????
कंठ में जैसे तू आवाज़
मारवाड़ में पानी सी तूं,
संगीत में जैसे थी तू साज।।
वह गीत तू जीवन का,
जिसे सबने दिल से गाना चाहा।
वह व्यक्तित्व तू कायनात का,
जिसे सबने सच्चे दिल से सराहा।
वह हर्फ तू किताब का,
जिसे सबने दिल से पढ़ना चाहा।।
वह एहसास तू जीवन का,
जिसे दिल से सब ने जीना चाहा।।
वह प्रेम तू भावों का,
जिसे सच में सब ने अपनाना चाहा।।
यही तो परिचय था तेरा मां जाई।।
*हानि धरा की लाभ गगन का*
यही तेरे बिछोड़े का है सार।
याद रहेगा तेरा फर्श से अर्श तक का सफर और तेरा वह मधुर व्यवहार।।
मात पिता का रही अभिमान तूं,
नहीं पनपे तेरे चित में कभी विकार।।
तूं तो सच में ही diplomate निकली ओ मां जाई।
जिंदगी के रंगमंच से चली गई हौले से,
पर हमारे जेहन में सुनामी है आई।।
*हर सांझ है बांझ तुझ बिन
भोर भी है जीजी उदास उदास। दोपहर थकी है रात भी है रोई रोई सी,
क्योंकि तू नहीं अब हमारे पास।।
याद तो तू जब आए
जब जेहन से जाती हो मा जाई।
अनमोल सा खजाना खो गया हमारा,
डब डब आंख मेरी भर आई।।
मैं भाव लिखती हूं आप शब्द पढ़ते हैं, जो कहना चाहती हूं शायद आप तक पहुंच नहीं पाता।
सच में कोई लम्हा नहीं ऐसा जो याद तेरी नहीं लाता।।
जग से जाने वाले जेहन से भी जाते हो जरूरी तो नहीं और जग में रहने वाले जेहन में रहते भी हो यह भी तो जरूरी नहीं।।
तूं तो रहती थी,तब भी महकती थी,
आज भी महकती है और कल भी महकेगी।।
फूलों में से कोई नाम रखना हो तेरा,
तो रखना चाहूंगी सदाबहार।
रही बन कर केंद्रबिंदु तूं सदा,
कितना सुंदर तेरा दीदार
कितना प्यारा तेरा व्यवहार!!!!!!
माना एक किसी के जाने से यह दुनिया रुका नहीं करती है।
पर लाखों की भीड़ भी,
उस एक की कमी को पूरा नहीं करती है।।
क्या भूलूं क्या याद करूं???
सच में लाडो थी तू कितनी मिलनसार।
बीते जो भी लम्हे संग तेरे,
सच में ही बन गए थे यादगार।।
कालजे की कौर थी तू ,
सच में मां जाई तू थी गम गुसार।।
जो कहते थे मान जाती थी,
सही होगा कहना तुझे फरमाबरदार।।
सब के दिलों में राज करे जो,
होता है कोई ऐसा लाखों में एक।
कोई अतिशयोक्ति नहीं यह सत्य है बहना सच में तू थी दिल की बड़ी नेक।।
नित शब्दों से खेलने वाली, निशब्द सी हो गई हूं मैं सच तेरे जाने के बाद।
कौन सी ऐसी भोर सांझ है,
जब तू ना आती हो याद?????
मिले शांति तेरी दिव्य दिवंगत आत्मा को अब तो ईश्वर से यही फरियाद।
No words to describe *a towering personality, your mesmerizing looks, your amazing deep thought process.your sober attitude, your warmthness your kindness,your beautiful heart, full of love and affection.
I think one word is enough for you that is perfection.
May your soul rest in peace. We will always miss you.
O my dear most sister.
तूं धार नदिया की,
मैं तेरा किनारा हूं।
तूं मेरा सहारा है,
मैं तेरा सहारा हूं।।
दो पल के जीवन से एक उम्र चुरानी है
जिंदगी और कुछ भी नहीं,
तेरी मेरी कहानी है।।
तेरा सबसे पसंदीदा नगमा तुझे समर्पित करती हूं मां जाई।।
स्नेह प्रेमचंद
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