चित में रहते राम।
नु__पुर सी छनक रहती है जिसके चित में राम नाम की,
हैं, वे पवन पुत्र हनुमान।।
मां__ अंजनी का लाल जन्मा था आज ही के रोज,
हुई धन्य धरा, धन्य अनंत आसमान।
न__जर हो जाती है पावन जिनके दर्शन से,
ऐसे बजरंगी, संवारे सबके बिगड़े काम।।
नहीं मात्र हनुमान के,
सबके चित में राम।।
लांघ गए सागर को जो,
नहीं शक्ति में,कोई उनके समान।
निगल गए थे दिनकर को वे फल समझ कर,
ऐसे प्यारे हैं हनुमान।।
जला के लंका,बजा के डंका,
मां सीता की खबर प्रभु को सुनाई थी।
उस खबर से मधुर भला कहां कोई शहनाई थी????
सुमित्रानंदन जब हुए मूर्छित,
तब आप ही संजीवनी लाए थे।
प्रिय राम के प्रिय अनुज के
आपने ही तो प्राण बचाए थे।।
भारी सभा में चीर कर सीना
जब आपने दिखाया था।
निज आराध्य श्री राम,जानकी और लक्ष्मण का रूप दिखाया था।।
थम गए थे लम्हे,जर्रा जर्रा मुस्काया था।।
भावों की बह गई मंदाकिनी,
हिमालय भी बौना हो आया था।।
आपकी महान महिमा का
ये मेरी लेखनी
क्या सही से कर पाएगी गुणगान????
धन्य हो गई मेरी लेखनी,
लिया जब बजरंगी का नाम।
सारे बोलो *जय श्री राम जय श्री राम*
स्नेह प्रेमचंद
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