Suvichar.......shukeriya ya shikayat.......akser ham shikayat adhik kerte hein or shukeriya kam,hona chahiye ulta.ham shi h,swasth h,roz kaam per jate h,tasali ki daal roti khate hein,bachon ki perverish shi se ker pate h,kya ye sab shukeriya kerne ke liye kafi nhi h.glass aadha bhra h, glass aadha khali h,bat ek h,nazeria alag alag.hmari rozmarra ki zindgi shi chalti rhe,kissi achhe kaam me ham apni urzaa lgaein,ye zruri h,na ki hme kya nhi mila is ka Rona rote Rhein,her vyakti kudrat ki nayaab kriti h,bas zrurat h is ko nikharne ki,jaise bertan kisi achhe surf se ragadne se chamak jate h is perkaar hme achhe vicharon or karmon se apne. Anterman ko,apne se Jude logon ko,samaj ko chamkana h,prabhu ne hme Jo vivek diya h,shi vikalpon ko chun na h,yeah zruri h......aap ko kya lagta h?
कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...
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