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अरदास(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कर जोड़ हम कर रहे,
परमपिता से यह अरदास।
मिले शांति पा की दिवंगत 
आत्मा को,
है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।।

शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि पा को,
वो नही हैं, हो ही नही पाता अहसास।
एक ही नाम था,एक ही काम था,
कितना सुखद था उनके होने का आभास।।

10बरस बीत गए,
उनको हमसे बिछड़े हुए,
कल की ही तो बात लगती है,
आते है याद कभी हँसते हुए,
कभी बिगड़े हुए।।

याद आते हैं वो बाजरे की खिचड़ी बनाते हुए,वो गुड़गुड़ हुक्का बजाते हुए,वो ताशो की बाजी लगाते हुए,
वो खरी खरी बात सुनाते हुए,वो मां संग चैनस की बाजी लगाते हुए,वो कुर्ते पजामे में ही ऑफिस जाते हुए,वो गेहूं की ट्रॉली लाते हुए,
वो हाला के प्याले छलकाते हुए,वो अपनी जिंदगी अपने हिसाब से ही चलाते हुए,वो नौकरी की कीमत समझाते हुए,वो कभी कभी गुस्से में होठ लटकाते हुए, बहुत कुछ याद आता है।
एक युग की समाप्ति हो जाती है सच जग से बाबुल जाने के बाद।
कौन सी ऐसी सांझ भोर है जब उनकी ना आती हो याद।

जो बीत गया है वो दौर न आएगा,
इस दिल के माँ बाप के स्थान पर कोई और न आएगा।।
समय पंख लग कर उड़ गया,हम लगाते ही रह गए कयास,
झटका सा लगता है सोच कर ,पापा  नही हैं हमारे पास।।

इस दिवंगत आत्मा को मिले शांति,
आज उनके जन्मदिन का है यही उपहार,
कितने अच्छे थे वो दिल के,
बेशक थोड़ा कम करते थे इज़हार।।

सब्ज़ी में नमक जैसे,
मिठाई में मिठास जैसे
 माँ बाप का होता है प्यार,
जब होते हैं तो सब सहज सामान्य सा लगता है, 
नही होते तब लगता है क्या अनमोल खो दिया,
करते हैं सही में स्वीकार।।
मात पिता कहीं नहीं जाते,
विचरण करते रहते हैं लम्हा लम्हा
विचारों में,जेहन मे छाया रहता है उनका खुमार।
हम पर शुरू हो कर,हम पर ही खत्म हो जाता है उनका संसार।
वो कब कैसे क्यों कितना करते हैं
इसका तो लगा ही नहीं सकते कयास।
खुद मात पिता बन कर समझ आता है ये सारा हिसाब।।
कर बद्ध हम कर रहे,
परमपिता से यह अरदास।
मिले शांति दिव्य दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।।
आज जन्मदिवस है आप का,
करें ईश्वर चरणो में अब आप वास।।


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