Suvichar........aaz mazdur diwas h...........jin mehlon me ham rehte he in,unko mazdur bnate h,jin sadkon per ham bdi bdi gadiyan chlate hein,unhe apni kdi mehnet se kdi dhup me wo hi bnate h,jin maals ,cinema halls,or picnic spots me ja ker ham mnoranjan kerte hein,WO bhi mazdur bnate h.ham khate h pakwaan anekon,WO sukhi roti sabzi khate h ,dete hein jab unko mazduri,tab paise kam kerwate h,unki bebsi,mazburi ki ho jati h intihaa,jab ham ktu vachon ke teer chubate hein,Jo kaam wo kerte hein din bher,ham soch ke bhi ghabrate h,nafrat,dutkaar ke nhi,hein WO aader,prem or Sam maan ke adhikaari,bahut so liye,ab to bandhu aa gyi h jagne ki baari..........realize their sufferings,problems and pains,or aage badh ker hath badana......zruri h
कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...
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