**तुलसीदास या श्रवण कुमार**
दोनो ही माइथोलॉजी के सशक्त किरदार
एक पत्नीभगत एक मात पिता का लाल
सबका अपना अपना नज़रिया,पर हैं दोनो ही कमाल
विकल्प दिए हैं खुदा ने हमको
ये हम पर है हम क्या चयन करते हैं
कैसे भूल सकते हैं मा बाप को
जो औलाद के लिए ही जीते और मरते हैं।
मा बाप तो जन्म से ही साथ हमारे होते हैं,
ज़िन्दगी का परिचय करवाते हैं अनुभूतियों से,संग हँसते और रोते हैं।
जीवनसंगिनी तो एक उम्र के बाद हमारे जीवन मे आती है।
फ़र्ज़ ओर कर्तव्य हैं उसके लिए भी,
पर अक्सर मा बाप को वो पृष्टभूमि में ले आती है।
मुख्य को गौण बनाने में सार्थक भूमिका निभाती है।।
ध्यान से सोचो, मातृ औऱ पितृऋण से हम कभी उऋण नही हो पाएंगे
नही कर सकते कभी भी हम उतना,
युग आएंगे,युग जाएंगे।।
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