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अक्षय तृतीया विशेष ((स्वयं सिद्ध मुहूर्त है अक्षय तृतीया)) विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा

** स्वयं सिद्ध मुहूर्त है अक्षय तृतीया**
आज के दिन की महता बेशुमार।
बिन पंचांग देखे भी,
शुभ कार्य  का प्रारंभ
 हो सकता है आज के दिन,
सच ये दिन, ईश्वर का अनमोल उपहार।।

एक नहीं अनेक कारण हैं इसके,
आओ करें जिक्र इनका सिलसिलेवार।
**मां गंगा का धरा पर अवतरण** हुआ था आज ही के रोज,
कण कण में हुआ जीवन संचार।।
जीवनदायनी भागीरथी का,
 जग भूल नहीं सकता उपकार।।

जगन्नाथ भगवान के सभी रथों को बनाना आज ही के रोज प्रारंभ किया जाता है।
शुभ दिन है ये नहीं मोहताज किसी पंचांग का,यही समझ में आता है।।

आज ही के रोज वेद व्यास जी ने महाभारत की की थी रचना संग गणपति के,ये दिन सच में ही बहुत ही भाता है।।

सूर्य भगवान ने आज ही के रोज पांडवों को अक्षय पात्र का दिया था दान।
आदि शंकराचार्य ने आज ही के रोज कनक धारा स्त्रोत की की थी रचना,स्त्रोत है सच में अति महान।।

प्रथम तीर्थकर आदिनाथ ऋषभ देव जी ने कठिन 13 महीने का पारणा इक्षु से किया था उपवास।
सच एक नहीं,अनेक कारण है इसके,बन गया दिन जो इतना खास।।

**द्रौपदी को चीर हरण से माधव ने आज ही के रोज बचाया था**
समर्पण हो गर सच्चा,आ जाते हैं भगवान रक्षा हेतु,
पूरे जग को समझाया था।।
हुआ कृष्ण के आगे नतमस्तक,
 भारत ही नहीं पूरा संसार।
**नारी अस्मिता **की रखी लाज,
यही हमारी सनातन संस्कृति,
यही हमारे भारतीय संस्कार।।

**महर्षि परशुराम जी की है आज ही जन्म जयंती**
साहस शौर्य और निर्भीकता का सशक्त किरदार।
अक्षय तृतीया की महता सच में ही है बेशुमार।
अपने आप में ही सिद्ध मुहूर्त है ये दिन,जाने ये सारा संसार।।

**कृष्ण सुदामा मिलन भी हुआ था आज के रोज ही**
मित्र के इत्र की महक से धरा गगन हुए दोनो सरोबार।
गले लगाया, पग पखारे निर्धन सुदामा के,नहीं माधव सा कोई अवतार।।

**मां अन्नपूर्णा** का जन्म भी आज के रोज हुआ था,
आज ही कुबेर को मिला था खजाना।
महता खुद ही बढ़ गई इस दिन की,
नहीं कोई भी सत्य से अनजाना।।

 **सतयुग त्रेता युग का प्रारंभ**
 भी आज ही के रोज हुआ था,भविष्य पुराण अनुसार।
**ब्रह्मा पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण** भी था आज ही के रोज,
सच दिन आज का पर्व,उत्सव,उल्लास और त्योहार।।

**महाभारत युद्ध को समाप्ति**
 का आज ही रोज हुआ था उदघोष।
**वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर**
 में आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के होते हैं दर्शन,कर देते हैं जो मदहोश।।

सोना नहीं,चांदी नहीं,
हीरे सा है ये दिन आज का,
महता इसकी सच में बेशुमार।
**स्वयं सिद्ध मुहूर्त है अक्षय तृतीया**
सच ये दिन ईश्वर का अनमोल उपहार।।
**आखा तीज कहो इसे या कहो अक्षय तृतीया अनंत,अक्षय, अक्षुण, फलदायक भी इसका नाम।
**भारी तपस्या और मंत्र सिद्धि** के लिए भी अति उत्तम है ये दिन,
सिद्ध हो जाते हैं आज सारे काम।।
विष्णु जी की पूजा का है ये दिन,
लो विष्णु जी का सच्चे दिल से नाम।।
**अक्षय रहे स्वास्थ्य  सबका
अक्षय रहे प्रेम सबका
अक्षय रहे  सफलता,सुख और समृद्धि सबका
अक्षय रहे संबंधों में मधुरता सबके
अक्षय रहे शिक्षा ज्ञान और संस्कार 
सबका
अक्षय रहे ये सनातन संस्कृति हमारी**

 स्नेह प्रेमचंद


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