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छांव छांव सी(( जन्मदिन की दुआ मां की ओर से बिटिया को))


**धूप धूप** सी इस जिंदगी में रही
 तूं छांव छांव सी,
हुई जिंदगी, लाडो तुझ से गुलजार।
ना सामर्थ्य भावों में,
ना क्षमता अल्फाजों में,
जो तुझ से प्रेम का कर पाऊं  इजहार।।

**बूंद बूंद** सी इस जिंदगी में रही तूं गहरे सागर सी, 
मैं नौका, तूं प्यारी पतवार।
साहिल तक संग चली सागर के,
नहीं छोड़ा कभी तूने मझधार।।
एक कालखंड तक मैं थी मांझी,
अब तूं इस पद की दावेदार।

जिंदगी के दिनकर की पहली किरण तूं,
**आरुषि** नाम की सही हकदार।।
**कदम कदम** पर मिली हों बेशक तुझे चुनौतियां,
**हिम्मत हिम्मत** रख की तूने स्वीकार।।
**घाव घाव पर तूं **मरहम मरहम*" सी,
नित नित हो तेरी सोच में बिटिया परिष्कार।।

प्रेम मापने का सच बना ही नहीं कोई निर्धारित पैमाना,
बता देती वरना है तुझ से कितना प्यार।।
माना मेरे अस्तित्व से है वजूद तेरा,
पर तेरे व्यक्तित्व से महक रहा चमन मेरा,हुआ प्रेम वृक्ष फलदार।।
**करवट करवट** रहती है ख्यालों में तूं,
**लम्हा लम्हा **तेरा हो बिटिया गुलजार।।

**खंड खंड** सी जिंदगी की रही,
लाडो तूं पूरी किताब।
सबसे अनमोल है तूं मेरे लिए री,
देख लिया लगा कर मैने पूरा हिसाब।।

**ताप ताप** सी इस जिंदगी में लाडो!
रही तूं जैसे ठंडी फुहार।
अग्निपथ को बना देती हो सहजपथ,
बिटिया का निभाया 
सदा तूने उम्दा किरदार।।

**उलझी उलझी** सी जिंदगी में
 लाडो रही तूं सुलझी सुलझी सी ताने बानो की आधार।
कर्मठता का टीका सदा लगाया भाल पर,किया प्रयासों का सदा श्रृंगार।।

**कल कल** बहती नदिया सी पावन बनना ,
बहा देना चित से सारे विकार।
**पल पल**  जिजीविषा करे वरण चेतना का, 
कला सृजन की बहे भावधार।।

जो ठाना बन दिया उसका ताना बाना,
न दिया पनपने कभी चित में विकार।
अपने भाग्य को लिख डाला कर्म की लेखनी से,हो बधाई जन्मदिन की,
कहूंगी एक नहीं,सौ सौ बार।।
**कदम कदम**पर ज्ञान की जले अलख,
हो दृष्टिकोण में तेरे विस्तार।।
**डगर डगर** हो सरल तेरी,
हो चिंतन का सतत विस्तार।।

**जर्रा  जर्रा ** हो रोशन तेरी रोशनाई से,हों सदा ही खुशियों के दीदार।
**कण कण** दे जाए तुझे अच्छे मुस्तकबिल का उपहार।।

हों सरल राहें तेरे जीवन की,
मिले तुझे यश,कीर्ति बेशुमार।
**नित नित** चढ़े सफलता के सोपानों पर,
तेरी प्रतिभा को मिले प्रोत्साहन हर बार।।
एक दुआ है मेरी आज के दिन,
आए तेरी कला में पल पल निखार।।

**जीवन का अनहद नाद सी तूं
मारवाड़ में शीतल सा पानी तूं
चातक मुख में बरखा की पहली फुहार सी,
मंदिर में मन्नत के धागे सी,
सच में सबसे प्यारी कहानी तूं**

**कदम कदम** पर तूं खिले ऐसे,
जैसे कीचड़ में खिलता है जलजात।
एक और दुआ देती हूं तुझ को,
हो सदा ईश्वर कृपा की तुझ पर बरसात।।
    स्नेह प्रेमचंद






Comments

  1. तूं ईश्वर का अनमोल उपहार

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