Suvichar......kyun bhulte h?jivan me kai aise mukam aate h,jhan hme Jo yaad rakhna chahiye,WO bhul jate h.vridh or bimar ma baap ko ham jivan ke uss mod per bhul jate h,jab unhe hmari sab se zyada zrurat hoti h.ham zimmedariyon or kertayon ko bhul jate h,per adhikaar ko sapno me bhi nhi bhulte.kai nye logon ka ham per iss kder rang chadta h,ham bahut hi apno ko bhul jate h,WO apne hme khush dekh ker apni upeksha ko bhi bhul jate h,kbhi bhi kuch nhi kehte.ham apne sukh sadhno me itna ram jate h dusron ki aadhar bhut zrurtein bhi nhi nazer aati,choti soch,chota nazeria,prathmiktaein karan h,samvedanhinta karan h,kusanskar karan h,atmvishlatuon na kerna karan h,hmari pervrish karan h...........zra sochiye
कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...
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