आज भी आई,
कल भी आई,
है कौन सी ऐसी शाम अनोखी,
जब मा न तेरी हो याद आयी।
भोर का भास्कर,फिल्मो का आस्कर,निशा का सुंदर चाँद है माँ।
तन का रक्त,लेखनी की स्याही,
बीमार की दवाई, मीठी सी मिठाई,
बहुत ही मीठी सी होती है माँ।
एक माँ तेरे होने से सब सुंदर हो जाता है।
और तेरे न होने से हर रिश्ता खोखला से नज़र आता है ।।
पंख हैं बच्चे तो परवाज़ है माँ,
साज हैं बच्चे तो आवाज़ है माँ,
गीत है बच्चे तो संगीत है माँ,
उल्लास हैं बच्चे तो रीत है माँ,
चाहे पूरी दुनिया की दौलत भी हमे भले ही हो न नसीब।
एक तम्मना है परवरदिगार,बस मा रहे हर बच्चे के करीब।।
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