हमारा प्यार हिसार हमारा प्यार हिसार**
मात्र सकारात्मक समूह ही नहीं,
बन गया है अब यह एक सशक्त विचार।।
आती है जब भी वैचारिक क्रांति,
सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी निर्बाध गति से बहती है।
क्रांतिकारी परिवर्तन की चल पड़ती है बयार,सब कहते हैं,
नहीं मात्र ये मेरी लेखनी कहती है।।
मात्रात्मकता नहीं गुणात्मकता होना चाहिए लेखन का आधार।
सबसे न्यारा,सबसे प्यारा,हमारा प्यार हिसार हमारा प्यार हिसार।
सब हो जाता है मधुरम मधुरम
जब चलती है अहम से वयम की बयार।।
छोटे बड़े सब चलते हैं साथ,
नष्ट हो जाते हैं मन से समस्त आदि,व्याधि विकार।।
संकल्प से सिद्धि तक,
सफर से मंजिल तक,
लक्ष्य से उपलब्धि तक,
सोच से परिणाम तक,
छिपे होते हैं जाने कितने ही प्रयास।
मूल में निहित हो गर जनकल्याण की भावना,साधारण भी बन जाता है खास।।
इस फेरहिस्त में बहुत ही ऊपर नाम आता है हमारा प्यारा हिसार समूह का,
लग्न और मेहनत का हर समूह सदस्य के चित में वास।।
एक एक करके बना कारवां,
मंजिल की ओर बढ़ता रहा काफिला,
निरंतर होता रहा समूह का विकास।
ना हो ह्रास,बस हो विकास,
यही चाहे हमारा प्यार हिसार।।
**जोश,जज्बा और जुनून**
लबरेज है इनसे समूह हमारा,
होते कर्मठता के साक्षात दीदार।।
कहां कहां सुधार नहीं किया इस समूह ने,पौधारोपण, भीति चित्रकारी और प्लास्टिक मुक्त बने हिसार।
सांझे प्रयास बन जाते हैं खास,
बस सामूहिक जिम्मेदारी समझे पूरा परिवार।।
स्वच्छ घर,स्वच्छ शहर, स्वच्छ देश और स्वच्छ संसार
यही नारा है हमारा प्यारा हिसार का,
जन कल्याण ही इसकी सोच का सशक्त आधार।।
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