हर क्रिया की प्रतिक्रिया हो
ज़रूरी तो नहीं।
हर अहसास को अभिव्यक्ति मिले
ज़रूरी तो नहीं।
हर सवाल का सही जवाब मिले
ज़रूरी तो नहीं।
हर मोड़ पर कोई अपना खास हो
ज़रूरी तो नहीं।
हर लम्हा खूबसूरत ही हो,यादगार ही हो
ज़रूरी तो नहीं।
हर पसन्दीदा चीज़ हमे हासिल हो ही जाए
ज़रूरी तो नहीं।
हर दिल प्रेम की बांसुरी बजाए,सुने और सुनाए
बहुत ज़रूरी है।।
और प्रेम सुता!तेरा दिल सदा
प्रेम से लबरेज रहा।उच्चारण से नहीं आचरण से तूं प्रेम करना सिखा गई।।
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