नही चाहिए मुझे सोनाचाँदी,
ना ही है कोई अपने हिस्से की अभिलाषा।
रखना ध्यान तुम माँ बाप का भाई,
है हर बहन की यही भाई से आशा।।
कुछ लेने नही आती हैं पीहर बहने,
वो बस बचपन के कुछ पल चुराने आती है,देखना चाहती हैं सुकून और शांति माँ बाप के मुखमंडल पर,वो तो घर को रोशन कर जाती हैं।।
सहेजना चाहती हैं अतीत की वे मधुर
स्मृतियां जब एक ही आंगल तले जिंदगी का परिचय अनुभूतियों से हो रहा था।।
अतीत के झोले से वो बचपन के लम्हे चुराने आती हैं जब कोई चित चिंता नहीं होती थी।
होती थी गर कोई दुविधा,फिर मां को गोदी होती थी।।
लेने आती है वो सहजता जो महफूजता जो बाबुल के साए तले सहज भाव से मिल जाती थी।
बाबुल के आगे भाई तेरी कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं हो पाती थी।।
वो मां पिता के चेहरे पर एक सुकून एक शांति देखने आती हैं।
उनकी जरूरतों की MRI वो बड़ी आसानी से कर लेती हैं,तेरा थोड़ा समय और दो मीठे बोल ही तो उन्हें चाहिए।वो सदा नहीं रहने वाले, वे मुख से नहीं बोलते पर उनके नयन उनके साफ दिलों के प्रतिबिंब हैं।।
,,,,,,,,,हर बहिन की अभिलाषा
Comments
Post a Comment