**पीहर से जाती हैं बेटियां,
पर दिलों से कभी नहीं जाती**
कौन सी ऐसी भोर सांझ है,
जब वे याद नहीं आती???
कौन कहता है लाडो होती है पराई??
प्रीत तो निस दिन उसकी है गहराती।
दिलो-दिमाग में छा जाती है ऐसे,
जैसे हिना धानी से,
श्यामल हो जाती।।
**नेहर से जाती हैं बेटियां,
पर दिलों से कभी नहीं जाती**
पूछता है जब कोई," जन्नत है कहां???
हौले से मुस्कुरा देती हूं मैं और कहती हूं," जन्म लेती है बेटी जहां"
पूछता है जब कोई," कैसा होता है घर में बेटी का होना???
हौले से मुस्कुरा कर कहती हूं मैं,
** बेटी से महकता है घर का हर कोना**
धड़धडाती हुई ट्रेन सा व्यक्तित्व होता है बेटी का और थरथराते हुए पुल से अन्य नाते जाने क्यों बेटी के वजूद के आगे धुंधला से जाते हैं।
हर मंजर मटियाला सा हर भाव खोखला और हर शब्द अर्थहीन सा कर देते हैं।
क्या है बेटी????
** नयन में नूर,हीरो में कोहिनूर है बेटी**
**खुशबू में पराग, संगीत में मधुरतम सा राग है बेटी,
** स्नेह का सतत बहने वाला निर्झर है बेटी**
अनुराग मंडप में अपनत्व का अनुष्ठान है बेटी
** जीवन के सुखों को प्लस कर दुखों को माइनस कर देती है बेटी**
**लफ्ज़ नहीं लहजे पहचान लेती है बेटी**
** हर्फ नहीं नयन भी पढ़ लेती है बेटी**
**एक कालखंड के बाद तो बेटी मां की भूमिका में आ जाती है**
**सुर,सरगम,संगीत है बेटी
शिक्षा,संस्कार,रिवाज और रीत है बेटी
निज अनुभव से लगता है ऐसे,
जीवन का सबसे प्यारा गीत है बेटी**
**मित्र,सलाहकार, मार्गदर्शक, शक्ति का सागर है बेटी**
**हर एहसास सांझे कर लेती हैं बेटियां**
** बेटियां जाकर भी जेहन से नहीं जाती कौन सी ऐसी भोर सांझ है जब वे याद नहीं आती???
**नेहर से जाती है बेटियां,
दिलों से कभी नहीं जाती**
**आज हुआ गठबंधन एक नए बंधन का, एक नए जीवन की हुई शुरुआत**
** जिंदगी के सफर में हमसफर मिलने से बेहतर भला और क्या होगी सुंदर सौगात??
**पता ही नहीं चला छोटी सी मैगी कब बड़ी हो गई,
चल पड़ी जेहन में यादों की बारात।।
** मेरी शादी के 1 महीने बाद ही मैगी का पहला बर्थडे आया था मुझे आज भी बहुत अच्छे से याद है मेरी पिंक साड़ी और मैगी का वह पिंक फ्रॉक एंड हैट**
बाबुल के आंगन की ओ चिरैया!
हो अब फुर्र से उड़ने को तैयार।
तेरी मधुर महक और मीठी चहक से, सच कोना कोना हो जाता है गुलजार।।
**बेटियों की महक तो ताउम्र रहती है जेहन में,
बेशक रोज ना हों पाएं उनके दीदार**
**आती है है जहां प्रेम से बेटियां
धन्य हो जाते हैं वे चौखट और द्वार**
**सागर की गहराई,आम की अमराई**
**मां की परछाई मधुरता की शहनाई है बेटी**
और परिचय क्या दूं बेटी का??
**हर कमी की भरपाई है बेटी""
**परवाह है बेटी,ख्याल है बेटी**
**आस है बेटी विश्वास है बेटी**
**सच में सबसे सुखद एहसास है बेटी**
**मिठाई तो लोग बेटा होने पर खिलाते हैं पर वास्तव में जीवन में मिठास लाती है बेटी**
**सुनने में बेशक अच्छा लगता है **बेटा हुआ है** पर जीने में सबसे पास और खास है बेटी**
**जुगनू नहीं, आफताब है बेटी**
**हर्फ नहीं पूरी किताब है बेटी**
** एक शब्द में कहना हो तो सुमन में जैसे सुवास है बेटी**
**जिंदगी की किताब के हर किर्तास पर नजर बेटी ही बेटी आती है,
समा जाती है जेहन में ऐसे,
जैसे एक सांस आती है एक सांस जाती है**
**जब धड़कन धड़कन संग बतियाती है फिर हर शब्दावली अर्थहीन हो जाती है
फिर मौन मुखर हो जाता है,
ये बेटी का इतना गहरा नाता है**
बेटी को बना कर खुद खुदा भी
हैरान रह जाता है।।
**लब बेशक कुछ भी ना बोले पर बेटी को चेहरा पढ़ना आता है**
**कोई और नहीं कोई छोर नहीं **
**सच में बेटी जैसा कोई और नहीं**
कांपते हों हाथ जब लड़खड़ाते हों कदम, सांझ जीवन की आने को हो, उस पल,बेटी जैसी कोई भोर नहीं ।।
**यूं ही तो नहीं,ये सावन भादो इतने गीले गीले से होते हैं,
होती है विदाई जब भी किसी लाडो की,
मात पिता और परिजन उसके चुपके-चुपके रोते हैं**
**पहली बारिश के बाद की सोंधी सोंधी माटी की महक है बेटी**
**सावन भादो में रिमझिम फुहार की ठंडक है बेटी **
**जाड़े की गुनगुनी धूप का सुंदर रुप है बेटी**
**संबंधों के पौधे को संवाद की माटी,
अपनत्व के पानी,स्नेह की बयार और परवाह की धूप से ताउम्र खिला खिला सकती है बेटी**
छोड़ मां का आंचल और बाबुल का अंगना,
ये चिरैया फुर्र से है उड़ जाती।।
नेहर से जाती है बेटी पर दिल से कभी नहीं जाती।।
**यदा-कदा ही नहीं सर्वदा ही मन की अथाह गहराइयों को छू लेती हैं ये बेटियां प्यारी**
**सौ बात की एक बात है बेटियां कुदरत की रचना बड़ी न्यारी**
** न्यारी और प्यारी बेटियों से ही सर्वत्र रौनक है आती
नेहर से जाती हैं बेटियां
पर दिलों से कभी नहीं जाती**
**थाली तो हम बेटा होने पर बड़े जोर जोर से बजाते हैं पर जीवन को प्रेम और अपनत्व से झंकृत करती है बेटी**
""तराशे जाते हैं बेटे पर खुद ही निखर जाती हैं बेटियां
** प्रॉपर्टी बांटते हैं बेटे पर दुख दर्द बांटती हैं बेटियां
**पास रहकर भी पराए हो जाते हैं बेटे पर दूर रहकर भी दिल के बहुत पास होती हैं बेटियां।
** जीवन की सांझ में आंखें चुराते हैं बेटे पर बुढ़ापे की लाठी तत्क्षण बन जाती है बेटियां
**अधिकार मांगते हैं बेटे पर जिम्मेदारी उठाती हैं बेटियां।
**मन्नत से मांगे जाते हैं बेटे पर बिन मांगे ही आ जाती हैं बेटियां **औपचारिकताएं निभाते हैं बेटे पर दिल की प्रीत निभाती है बेटियां ।
**संबंध के पौधे को पानी से सींचते ही नहीं बेटे पर इसी पौधे को स्नेह निर्झर से हरा-भरा कर देती हैं बेटियां।।
फिर कौन कहता है लाडो पराई है हो जाती???
मुझे तो बिटिया से अपनी कोई भी शै नजर नहीं आती।।
** जीवन को आजीवन मधुबन बनाती हैं बेटियां
** अग्निपथ को सहज पथ बनाने में भी बहुत ही माहिर होती हैं बेटियां
कितनी भी कठिन डगर क्यों ना हो पनघट की, राहें जिंदगी की सरल बना देती है बेटियां ।।
**कांपते हाथों और जगमगाते कदमों का सबसे बड़ा संबल है बेटी
**रिश्ते नातों की गर्माहट का सबसे गर्म सा कंबल है बेटी
** नए रिश्तो के नए भवन में अक्सर बेटी है उलझ जाती
वो ना आ पाए तो तुम चले जाना,
देख तुम्हे वो फूली नहीं समाती
मां का अक्स नजर आता है हुबहू बेटी में,मां की कमी पूरी कर जाती
कुछ लेने नहीं आती बेटी पीहर
वो तो दुआओं का पिटारा दे जाती
ले जाना चाहती है तो कुछ लम्हे
बचपन के अपने बाबुल के आंगन से,पीहर की याद उसकी नस नस में है समाती।।
अधिकार मिले या ना मिलें उसको,
वो जिम्मेदारी से कभी नहीं घबराती।
कौन सी ऐसी भोर सांझ है जब उसे याद नहीं आती ????
"*पीहर और ससुराल दोनों ही नातों को बड़ी जिम्मेदारी और प्रेम से लाडो है निभाती**
मात्र उच्चारण में नहीं आचरण में भी अपने, वह बड़ी सहजता से यह सब कर जाती।।
अंत में दोहराना चाहूंगी
**सुर सरगम संगीत है बेटी **
**घर आंगन दहलीज है बेटी**
**उत्सव उल्लास और रीत है बेटी
**प्रेम प्यार प्रीत है बेटी
** कोयल की कूक हिवडे की हूक है बेटी
** कालजे की कोर जीवन में सबसे सुंदर भोर है बेटी
** दिल की धड़कन सुरों की सरगम होती है बेटी
ऐसी होती है बेटी और ऐसी ही प्यारी सी बेटी यानि मैगी को हम बड़े प्रेम से अनुग्रह हम आपको सौंप रहे हैं। अनुग्रह ताउम्र इसे प्रेम और सम्मान देना अब आपकी जिम्मेदारी है। जब हर बेटी अपने बाबुल की राजकुमारी होती है तो हर बेटी अपने राजा की रानी भी हो सकती है *मे गॉड ब्लेस यू बोथ*
यह मेरी ही नहीं यहां मौजूद हर व्यक्ति की दुआ है धन्यवाद।।
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