**मन कान्हा हो जाए तो
फिर काहे की दरकार???
जग रूपी कीचड़ में खिले
कमल से कान्हा,जाने ये सारा संसार।।
मन कान्हा हो जाए तो
खुल जाएंगे मोक्ष द्वार।
नहीं रहेगी फिर कोई खाई विषमता की,
करेंगे सब एक दूजे का सत्कार।।
**मन कान्हा हो जाए तो आ जाएगा समझ,प्रेम ही हर रिश्ते का आधार।
प्रेम का अर्थ लेना नहीं,देना है,
प्रेम से सुंदर हो जाता है संसार**
**मन कान्हा हो जाएगा तो
समर्थ भी सारथी बनने में नहीं हिचकिचाएगा।
मन कान्हा हो जाएगा तो
विचलित मन को गीता ज्ञान
समझ में अच्छे से आएगा**
**मन कान्हा हो जाएगा तो धर्म अधर्म पर विजय पताका फहराएगा
मन कान्हा होगा तो साधुओं की होगी सदा रक्षा,बुराई का अंत हो जाएगा**
**मन कान्हा हो जाए तो कोई शांति प्रस्ताव नहीं ठुकराएगा और कोई महाभारत नहीं हो पाएगा**
**मन कान्हा होगा तो कोई धनी निर्धन का भेद ना होगा हर माधव का मित्र हर सुदामा हो जाएगा**
**मन कान्हा होगा तो धरा पर ही स्वर्ग आ जाएगा जर्रा जर्रा मथुरा वृदावन और द्वारका हो जाएगा**
**मन कान्हा होगा तो जग राधामय हो जायेगा**
**मन कान्हा होगा तो कोई शिशुपाल 99 बार गाली दे कर 100वीं बार मौत को गले नहीं लगाएगा**
**मन कान्हा होगा तो एक अक्षोहिनी सेना पर भी भारी पड़ जाएगा**
**मन कान्हा होगा तो कोई दुशासन किसी पांचाली का चीर हरण नहीं कर पाएगा**
**मन कान्हा होगा तो कोई अभिमन्यु किसी चक्रव्यूह में फंस भी गया तो आसानी से बाहर निकल पाएगा**
**मन कान्हा होगा तो आनंद ही आनंद होगा जीवन में,जीवन उत्सव उल्लास और रास बन जाएगा**
**मन कान्हा होगा तो कोई धृतराष्ट्र महत्वाकांक्षाओं के वशीभूत हो कर सौ सौ पुत्रों को कुर्बान नहीं करवाएगा**
**मन कान्हा होगा तो कोई दुर्योधन मामा शुक्नि की बातों में आकर अपने ही कुल के नाश का कारण नहीं बनेगा**
**मन कान्हा होगा तो प्रेम किसी नाते की मोहर और प्राप्ति का आधार नहीं होगा**
**मन कान्हा होगा तो चर चराचर सब चेतन्य हो जाएगा**
**मन कान्हा होगा तो विपरीत हालातों में भी भाग्य चमक जाएगा**
**मन कान्हा होगा तो मन की समस्त बेड़ियां जैसे अवसाद विषाद नैराश्य ईर्ष्या लोभ अहंकार कुंटाओं के द्वारपाल अपने आप सदा के लिए सो जायेंगे**
**मन कान्हा होगा तो अहंकार के कंस का,बुराई की पूतना का दमन हो जाएगा**
सारा मन का ही तो खेल है यही जन्माष्टमी पर्व की विशेषता है,
मन कान्हा कर लिया तो समझो जग जीत लिया।।
विकारों का शमन, अच्छाई को नमन यही इस पर्व का संदेश है।।
स्नेह प्रेमचंद
True
ReplyDelete