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हो बात जो उनके जाने की(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

किसी का काम अच्छा होता है किसी का अच्छा होता है व्यवहार।
 दोनों ही अच्छे हो जिसके,
 रीना मैडम का नाम है इसम शुमार।।
 दिल की बात नहीं हुआ करती सबसे,
 पर आप से हो जाती थी जाने कितनी ही बार।
 बहुत अच्छे से आप जानते भी हो, मानते भी हो,
 प्रेम ही हर रिश्ते का आधार।।
 
अधरों पर आपके खिली रहे
 यूं ही यह मोहक मुस्कान।
 *मधुर वाणी और मधुर व्यवहार* दिए ईश्वर ने आपको दोनों ही वरदान।।

 आज एक पारी पूरी हुई आपकी, दूसरी पारी का भी खिले गुलिस्तान। 
*कर्म ही असली परिचय पत्र हैं व्यक्ति का* 
वरना एक ही नाम से तो व्यक्ति होते हैं हजार।
कर्म का शंखनाद बजाया आपने सदा लगन से,
 कर्तव्य कर्मों से ना मानी कभी हार।।

* कर्म और व्यवहर यही तो है मानव जीवन का सार*
दोनों ही श्रेष्ठतम रहे आपके, 
निभाया उम्दा हर किरदार।।

अच्छी बहू, बेटी, पत्नी, मां, ननंद कार्यकर्ता
 हर नाते का नाम है इस में शुमार।

* जिंदगी हर कदम एक नई जंग है* आजमाईशों से भी ना मानी कभी हार।
 धूप छांव सी इस जिंदगी में किया, कर्म का सदा श्रृंगार।।

 *हो बात जो उनके जाने की,
 ये नयन सजल तो होने थे*
 बहन से साया गर छिन जाए,
 ताने-बाने मन के तो सूने होने थे।।

 आवागमन तो है *दस्तूर ए जहान* जग में, 
इन शब्दों से मन रूबरू तो होने थे।।
 आप रहो स्वस्थ सुखी और खुशहाल रीना जी,
इन दुआओं के मोती हमें तो इस स्नेह माला में पिरोने थे।।
आज पिरोए हैं हमने मोती, जला कर  दिल में प्रेम की ज्योति,
 इस गरमाई को आप भी दिल में रखना बरकरार।
 बेशक अब मुलाकात रोज ना होगी आपसे,
 पर जिक्र जहन में रहोगी सदा शुमार।।

होले होले, शनै शनै,
एक दिन यह दिन आ ही जाता है। कार्यक्षेत्र से हो सेवानिवृत्त इंसान
 लौट फिर घर को आता है।।

ज्वाइनिंग से रिटायरमेंट तक इंसान पल-पल बदलता जाता है।
 जाने कितने ही अनुभव तिलक जिंदगी भाल पर लगाता है।।

 कभी खट्टे कभी मीठे अनुभव हर एहसास से गुजरता जाता है।
 हर घड़ी रूप बदलती है जिंदगी,
 धीरे धीरे समझ में आता है।।
जीवन की इस आपाधापी में पता ही नहीं चलता कब समय आ जाता है सेवानिवृत्ति का,
 व्यक्ति यंत्रवत  सा चलते जाता है।। 

जिम्मेदारियों के चक्रव्यूह में घुस तो जाता है अभिमन्यु सा,
 पर बाहर निकलना उसे नहीं आता है।।
 कभी अच्छा कभी बुरा 
हौले हौले होता चला जाता है।
* शो मस्ट गो ऑन*
 इसी भाव से आगे बढ़ता जाता है।।

 शादी, बच्चों की परवरिश, माता-पिता की जिम्मेदारी सब हंसते हंसते सहज भाव से निभाता है।
 *कुछ बंधन भी होते हैं मीठे*
 इन बंधनों में बधने में आनंद आता है।।
 पल,पहर, दिन,महीने साल
 बीत कर एक दिन यह दिन आ ही जाता है।
 कार्यक्षेत्र में कार्यकाल हो जाता है पूरा,
 समय अपना डंका बखूबी बजाता है।।
 होले होले अनेक अनुभव अपनी आगोश में समेटे बरस 60 का इंसा हो जाता है।।
 *आज घर की ओर चली घर की बागबान*
 अब वक्त की ना होगी कोई पाबंदी समय की भी हो जाओगी धनवान।।

 जिंदगी की इस आपाधापी में कई बार कोई शौक धरा रह जाता है।
 जीवन पथ हो जाता है अग्निपथ, जिम्मेदारियों में इंसान खुद को फंसा हुआ पाता है।।

 पर अब आई है वह बेला 
जब मैडम हमारी खुशी खुशी कार्यमुक्त हो घर को जाएगी।
 शेष बचे अपने विशेष से जीवन में, उत्तरदायित्व बेधड़क निभाएंगी।

जिंदगी का *स्वर्ण काल* माना हम कार्य क्षेत्र में बिता देते हैं पर शेष बचा जीवन होता है *हीरक काल*
 यह क्यों समझ नहीं पाते हैं???

 सेवानिवृत्त होने का तात्पर्य है कभी नहीं होता क्रियाकलापों पर पूर्ण विराम।
अब तो किसी अभिनव सामाजिक पहल या दबे शौक को बाहर आने का मिल सकता है काम।।

 खरामा खरामा बीत गए लम्हे इतने, निर्धारित समय एक दिन यह दिन आ ही जाता है।
 पीछे मुड़कर जब देखता है इंसान समय मुट्ठी से खिसकती रेत सा पाता है।।
 आज मैं ही नहीं,
 दुआ कर रहा है पूरा शाखा हिसार परिवार।
 मिले अच्छा स्वास्थ्य मैडम आपको बना रहे ताउम्र आपका यूं ही मधुर व्यवहार।।
 नमन मिताली विवेक साक्षी आयांश सबका ताउम्र आपको मिलता रहे प्यार।
 जगह से दूर होने वाले दिल से दूर नहीं होते जिक्र और जेहन में आओगे बारंबार।।
कभी पड़े जरूरत हमारी आपको,
एक ही बार बस लेना पुकार।।

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