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श्रद्धांजलि(( A tribute to Dr Anju Kumar by Sneh premchand))

*करबद्ध हम कर रहे
 परमपिता से यह अरदास*
 *मिले शांति तेरी दिव्य दिवंगत आत्मा को, 
है, प्रार्थना ही हमारा प्रयास*

कब *है* बदल जाता है *था* में,
 हो ही नहीं पाता विश्वास।।
कल तक जो थी संग हमारे,
आज नहीं वो हमारे पास।।
तन छोड़ कब उड़ जाता है *हंसा*
हो ही नहीं पाता आभास।।

* जिंदगी भले ही लंबी ना रही हो तेरी जितनी भी थी थी बड़ी खास*
भरपूर सा जीवन जीया तूने,
मात पिता की बन गई आस।।
लिए सबके दर्द उधारे तूने,
हर घाव का मरहम था तेरे पास।।

आजमाइशें भी रही बहुत, उपलब्धियां भी थी अनेक,
मावस में तूं, पूनम का प्रकाश*

 *माटी मिल गई माटी में, 
हैं,जग में सबके गिनती के श्वास*
कभी बसंत कभी पतझड़ है जीव
कभी अंधेरा मावस का 
और कभी पूनम प्रकाश।।

* धरा पर जन्म लेने वाली ने 
सच में अपनी मेहनत और लगन
 से छू लिया आकाश*

"संकल्प से सिद्धि तक छिपे होते हैं जाने कितने ही प्रयास*
*कुछ नहीं,बहुत कुछ रहा होगा तुझ में,
यूं हीं तो नहीं होता कोई इतना खास*

*उच्चारण में नहीं 
आचरण में रहा सदा तेरा विश्वास।
जग से बेशक चली गई तूं,
पर जिक्र और जेहन में सदा करेगी वास*

*कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार*
यही मूलमंत्र सदा अपनाया तूने,
हर अनुभूति को नहीं दिया इजहार।
*हानि धरा की,लाभ गगन का*
यही तेरे बिछौड़े का है सार।।

किसी का ज्ञान अच्छा होता है,
किसी का अच्छा होता है व्यवहार
पर दोनों ही जिसके अच्छे नहीं, अति उत्तम हों,नाम है उसका अंजु कुमार।।


* कभी नहीं रुकी,कभी नहीं थकी* सतत करती रही,तू सदा विकास*

* क्रम से सबसे छोटी घर में,
 पर कर्म और
 *औरा* सबसे बड़ा तेरा,
अलग ही रहा तेरे आभामंडल का दिव्य प्रकाश*

 *आवागमन तो यूं ही लगा रहता है जग में,
 पर दिल में बहुत ही कम लोग करते हैं वास*
 इस फेहरिस्त में नाम तेरा आता है शीर्ष पर,
 नहीं शब्द, बता पाऊं जो तू कितनी थी खास।।

 *उत्तम नहीं, अति उत्तम निभाया हर किरदार तूने,
 हुआ सतत अभिवर्धन, 
नहीं हुआ कभी ह्रास।।

 ओ डिप्लोमेट !
तू तो सच में ही रही डिप्लोमेट,
 जो हौले से निकल गई जिंदगी के रंगमंच से,
 आज तलक भी नहीं होता विश्वास।।

 नहीं जानते हम कब आ जाए शाम जीवन की,
 निजधाम में दे प्रभु अब तुझे वास।

 हे ईश्वर! शक्ति देना शोक संतप्त परिवार और समस्त परिजनों को,
 है, तुमसे अब एक यही आस।।

 *काल के कपाल पर सदा के लिए चिन्हित हो जाती हैं कुछ तुझ सी हस्तियां, 
सच में अलग ही आभामंडल एक अलग ही आभास*

* जन्म संग मृत्यु तो निश्चित है हर जीव की, 
पर तुझसे जिंदगी को बना देते हैं खास*

 *कुछ लोग जाकर भी कहीं नहीं जाते,
 जिक्र और जहन में युगो युगो तक करते हैं वास*

एक बरस बीत गया,
किए हुए मां जाई!
 तुझे प्रवास।।
तूं जहां भी है रहे शांत तूं,यही परमपिता से अब हमे आस।।

Gone from our sight but not from our heart,our dear most shining star
अच्छी बहू,बेटी,पत्नी,बहन,मित्र,ऑफिसर का निभाया किरदार

Mesmerizing personality,
 Adjusting,sweet spoken cool and calm
और परिचय क्या दूं तेरा????
अति खास थी,नहीं थी आम।।

Beauty with brain
Love with kindness
smile with tolerance
struggle with patience
Worship with dedication
Knowledge with love for art and music
तूं क्या क्या नहीं थी री ओ मां जाई!
वो सागर रही सदा तूं,नहीं नापी जा सकी जिसकी गहराई।।

People say *you are no more*
I say *you are and you will live more and forever in our heart*

*Memories always alive
They never die*
Amazing was your life journey,
From earth to limitless sky.
      Sneh premchand

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