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मां ऐसी गागर है

माँ एक ऐसी गागर है जिसमे समाया ममता का सागर है।

माँ एक ऐसी बांसुरी है जिससे सदा प्रेमधुन बजती है।

माँ एक ऐसा साज है जिसकी सिर्फ और सिर्फ ममता आवाज़ है।

माँ ममता का वो ईंधन है जो ताउम्र जलता है।

माँ एक सुखद आभास है,आशा है,विश्वास है।।

माँ वो तरनुम है जो अनुराग भरे दिल से ही निकलती है।

माँ करुणा का पर्याय है,सबसे अच्छी राय है,चाहे कितना होले परेशान,मुख से कभी नही निकलती हाय है।

माँ वो मटका है जिसको कुम्हार ने केवल स्नेह की माटी से बना दिया,जो औलाद के जल से सदा सौंधी सौंधी ममता भरी महकती रहती है।

माँ जग से चली जाती है,पर दिल से कभी नही जाती।

माँ को बना कर खुदा आज तक अपनी रचना पर गौरव महसूस करते हैं।

माँ तपते रेगिस्तान में शीतल फुहार है।

माँ जीत में है तो माँ हार में भी संग है।

माँ हौसला है,आशा है,शिक्षा है,संस्कार है,प्यार है,प्रेरणा है।

क्या नही है माँ?????????

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