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अनुकरणीय हर किरदार में(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

**कान्हा जीवन** रहा 
सदा अनुकरणीय हर किरदार में।
नहीं मिलता कोई और उदाहरण
कान्हा सा इस संसार में।।

 मात पिता का प्यारा दुलारा,
नहीं मित्र कोई कान्हा सा न्यारा,
बने भाई अद्भुत,
बने पथ प्रदर्शक पांडवों के,
बने गुरु अर्जुन के,
बने शांति दूत पांडवों के,
बने यशोमती के नंदलाला,
बने सखा पांचाली के,
दिया सहारा।।

एक व्यक्तित्व ही नहीं,
एक समूचा युग हैं कृष्ण
एक  मनोवैज्ञानिक 
एक मनोविश्लेषक
धर्मज्ञ और राजनेता
तीन सपष्ट उद्देश्य रहे उनके
संतों का भला,बुराई का नाश
धर्म की स्थापना
सही मायनों में थे एक विजेता।।





सामर्थ्य होते हुए भी बने सारथी,
किसी चुनौती से न किया किनारा।।
सत्य और धर्म का दिया साथ सदा,
किरदार माधव का बड़ा ही न्यारा।।
हाथों में सुदर्शन चक्र होते हुए भी
रही लबों पर सदा मुरली,
कर्तव्य कर्मों से न किया कभी किनारा।।

 बन गए ऐसी पाठशाला,
हर प्रेमी ने उन्हें पुकारा।।
विचलित और मोहग्रास्त अर्जुन को
दिया ज्ञान गीता का,
वो ज्ञान बना आज भी पूरे जग का सहारा।।

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