अति सरल सीधा सहज मधुर है
हिंदी का स्पष्ट विज्ञान
दस्तक दिल पर,चित में बसेरा,
जेहन मे इसके चित के निशान।।
हिंदी कविता की गहरी सरिता,
हिंदी मनोभावों का सुंदर परिधान।
सरलता की सरसता से सगाई है हिंदी
बोधगम्य हिंदी,भाव प्रधान।।
हिंदी भाषी ही जब हिंदी का करते हैं अपमान।
कोई और क्यों देगा फिर महता इसको,
कैसे कहेंगे हम भारत महान????
साहित्य का आदित्य है हिंदी,
है आर्यवृत का हिंदी अभिमान
और परिचय क्या दूं हिंदी का
हिंदी ही राष्ट्र का गौरवगां।।
जो मुख मोड़ रहे हैं हिंदी से
उन्हें सम्मति करना प्रदान।
तेरा परिष्कृत और प्रांजल रूप
आए सबके सामने,
सच में भाषा तूं बड़ी महान।।
मातृभाषा कहीं रह ना जाए मातृभाषा
हम सबको इसका रखना होगा ध्यान
जिस भाषा में आते हैं विचार दिल में
उसी में पहनाएं शब्दों का परिधान।।
सागर सी गहरी तूं हिंदी
तेरा अस्तित्व बड़ा विशाल
भावों की सुनामी बहती है उर में तेरे,
एहसासों की अभिव्यक्ति तुझ में कमाल।।
मां,मातृभूमि और मातृभाषा
हैं तीनों ही सम्मान की पूरी हकदार
एक खुशहाल राष्ट्र अपनाता है ये सत्य
सच में हिंदी भाषा दमदार।।
बहुत सो लिए अब तो जागें
हो हिंदी से हम सब को प्यार।।
सच में कुछ तो जग में अक्षम्य होते हैं अपराध
मां मातृभूमि और मातृभाषा को ना रखना याद।।
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