कोई भी दिन बिन बेटी के
कैसे हो सकता है खास???
मुझे तो ये मदर्स डे बेटी डे कतई नहीं आते हैं रास।।
मां और बेटी तो लम्हा लम्हा होते हैं जेहन में,
जैसे पुष्प में होती है सुवास।।
*घर आंगन दहलीज है बेटी*
*शिक्षा संस्कार तहजीब है बेटी*
*लिहाज मान गौरव शान नसीब है बेटी*
*हमे हमसे बेहतर जानती है बेटी*
*हमे दिल से अपना मानती है बेटी*
सुनने में बेशक अच्छा लगता है *बेटा हुआ है* पर जीने में बेटी से बेहतर कोई नहीं अहसास।
सही मायनो में धनवान होते हैं वे
होती है बेटी जिनके पास।।
थाली तो हम बेटा होने पर बड़े जोर जोर से बजाते हैं।
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