एक ही वृक्ष के हैं हम फल,फूल,पत्ते,कलियाँ और हरी भरी शाखाएँ,
विविधता है,बेशक,बहरी स्वरूपों में हमारे,पर मन की एकता की मिलती हैं राहें।।
एक चमन है,एक सुगंध है,है एक ही हम सब का माली,
सांझे सुख हों,सांझे दुःख हों, हो न किसी की झोली खाली।।
कतार में खड़ा अंतिम व्यक्ति भी न वंचित रहे बुनियादी जरूरतों से,ऐसी हो हम सब की सोच निराली,
समर्थ थाम ले हाथ असमर्थ का,पनपे आपस में भाईचारा
,न कोई सरहद,न कोई सीमा हो कभी परायी,कुविकारों से हर कोई कर ले किनारा
फिर यही धरा धीरे धीरे प्यारा सा स्वर्ग बन जायेगी,मानवता करेगी श्रृंगार करुणा और प्रेम का,यह सृष्टि प्रेममयी हो जायेगी,
सब संभव है,गर हर कोई इस भाव को दिल से अपनाए,
विश्व प्रेम की भावना ही है सर्वोपरि,बस दानव नही मानव कहलाए,।।
एक ही वृक्ष के हैं हम फल,फूल,पत्ते,कलियाँ और हरी भरी शाखाएँ।।
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