सागर ने एक दिन कहा साहिल से,मौजें रहती तो मुझ में हैं,पर मिलती तुझ से हैं,वो तुम्हारी हैं या मेरी??????
बहुत सोच कर बोला साहिल,"
कोई सीमा,कोई सरहद,कोई परिधि बांध नहीं पाती उनको,
ऐसा ही है उनका संसार।।
जैसे प्रेम भी नहीं जानता
कोई भी दीवार।
चाहे भाषा की हो,धर्म की हो, जाति की हो,प्रेम तो बस है स्नेह आधार।।
ऐसी ही तो तूं रही सदा मां जाई!
परदेसी भी तुझे उतना ही करते थे प्यार।।
इजरायल से विशेषकर आए पिता पुत्र हों,या हो स्पेन की पिलार।।
दिल पर दस्तक देना बखूबी आता था तुझे,
नहीं किसी औपचारिक निमंत्रण की थी तुझे कभी दरकार।।
*कुछ करती रही दरगुजर,
कुछ करती गई दरकिनार*
वैवाहिक जीवन का ही नहीं है ये मूलमंत्र,ये तो हर रिश्ते का आधार।।
तेरा आभामंडल ऐसा वायुमंडल था जिसकी आक्सीजन का एक ही नाम था और वो नाम है डॉक्टर अंजु कुमार।।
किसी का ज्ञान अच्छा होता है
किसी का अच्छा होता है व्यवहार।
दोनों ही अच्छे हों जिसके,
नाम है उसका अंजु कुमार।।
कर्म ही सच्चा परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति का,
वरना एक ही नाम के तो व्यक्ति होते हैं हजार।।
एक किसी के ना होने से,
सूना लगता है संसार।।
Comments
Post a Comment