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तेरे अस्तित्व से तो हिंदी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

तेरे अस्तित्व से तो हिंदी
 दमक रहा है हिंदुस्तान।
और परिचय क्या दूं तेरा??????
तूं हीं राष्ट्र का गौरावगान।।
साहित्य का आदित्य है तूं,
आर्यवर्त का है अभिमान।।
उच्चारण से आचरण तक,
हिंदी तेरा नहीं कोई भी सानी।
सरल सहज सुबोध है तूं,
सच में भाषाओं की महारानी।।
ह्रदय की भाषा है तूं,
हर हिंदुस्तानी का स्वाभिमान।
जैसे दिल में धड़कन होती है,
ऐसा तेरा अस्तित्व महान।।
हर भाषा को कर आत्मसात,
बनी तुम्हारी अलग पहचान।।
एकता सूत्र में बांधे है तूं,
जान कल्याण का करे आह्वान।
तेरे अस्तित्व से तो हिंदी
चमक रहा है हिंदुस्तान।।
14 सितंबर तक ही सीमित न रह जाए हिंदी का प्रयोग
ताउम्र गर्व से हिंदी अपनाकर,
निज भाषा की उन्नति में करें सहयोग।।
हिंदी हिंदी सब करे,
करे न कोई हिंदी में काम।
अंग्रेजी को अपनाया क्यों इतना
पराई भाषा से मानसिकता भी होती है गुलाम।।

निज भाषा का प्रयोग ही करते हैं जग में चीनी और जापानी।
फिर इंग्लिश इंग्लिश क्यों करते हैं हम हिंदुस्तानी???

मां मातृभूमि और मातृभाषा को सदा मिले जग में सम्मान।
वहीं राष्ट्र छूता है बुलंदियां,होता उसी का गौरवगान।।
एकता और अखंडता है हिंदी की पहचान।
हैं हम सच्चे हिंदुस्तानी,और हिंदी है हमारी जुबान।।
हमारे संस्कार और संस्कृति है हिंदी,
हिंदी सच में दिल और जान।।

फादर कामिल बुल्के ने विदेशी हो कर
भी हिंदी की महता को जाना।
किया निर्माण हिंदी के शब्दकोश का उन्होंने,लक्ष्य हिंदी महता दर्शाना।।

मनोविज्ञान का सच्चा ज्ञान है हिंदी
शब्दों और भावों का अनंत भंडार है हिंदी।।

थैंक्स, सॉरी,गुडमॉर्निंग, गुड नाईट,वेलकम के स्थान पर
शुक्रिया,क्षमा,सुप्रभात,शुभरात्रि,
सुस्वागत का करें प्रयोग।
बदले सोच बदले नजरिया
चाहिए इसके लिए सबका सहयोग।।

हिंदी होना यानी बेइज्जती होना
किसने हिंदी का इतना किया अपमान
हिंदी तो भाल की बिंदी है
आओ करें इसका गौरव गान।।
मात्र भाषा नहीं मातृ भाषा है हिंदी
सच में भाषा अति महान।।
अंग्रेजी में तो शब्द भी खामोश हो जाते हैं,सच्चाई जाने सारा जहा न
हिंदी में तो बिंदी भी लगती है बोलने
सरल सहज बोधगम्य भाषा हिंदी पर हो हमको अभिमान।।


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