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साथ बना रहे,हर आंगन प्रेम से सजा रहे(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*साथ दोनों का बना रहे*
हर आंगन प्रेम से सजा रहे,
दें खुशियां,
दस्तक सदा सबके द्वार।।

खून का नहीं,है ये नाता प्रेम,विश्वास,समर्पण और सम्मान का
होता जीवन एक दूजे से गुलजार।।

**कुछ कर दरगुजर,कुछ कर दरकिनार**
यही मूलमंत्र है सफल वैवाहिक जीवन का,
हो मन में एक दूजे के लिए एतबार।।

एक दूजे के सहयोग और समर्थन और इच्छा बिन सत्कर्मों को मिल ही नहीं सकता आकार।।
ये मिले जुले प्रयासों का परिणाम ही है परिवार **हमारा प्यार हिसार** 

सबकी जोड़ी बनी रहे,जिंदगी यूं ही चलती रहे,कारवां यूं हीं बढ़ता रहे,
स्वच्छता और सौंदर्य की शहर में चले बयार।।

कर्मों के करवे से रग दें हम सफलता के चांद को,जोश, जज्बे और जुनून की ज्योत्सना से पूरा शहर हो जाए गुलजार।।

     स्नेह प्रेमचंद

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