**दो वंश मिले,दो फूल खिले**
दो सपनों ने आज ही के रोज किया था श्रृंगार।
दो दूर देश के पथिकों ने संग संग चलना किया स्वीकार।।
खून का नहीं,
है ये नाता स्मर्पण और विश्वाश का,
प्रेम ही इस रिश्ते का आधार।।
*कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार*
यही मूलमंत्र है सफल वैवाहिक जीवन का,
हो जाता है सरल जीवन गर कर लेते हैं स्वीकार।।
आज के दिन दे रहे हम दुआएं बेशुमार।।
खुश हो तेरा दांपत्य जीवन लाडो,
सुख,समृद्धि और सफलता सदा खटखटाए आपका द्वार।।
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