*एक ओंकार सतनाम करता पुरख**
ईश्वर का सच्चा नाम है
केवल एक ही ओंकार।
इस पूरे ब्रह्मांड का वह निर्माता,
वही जगत का पालनहार।।
**निरुभउ निर वैर**
न किसी भाव से बंधा है ईश्वर
न किसी से उसका होता कभी बैर।
न ही करता कभी पक्षपात किसी से
सब अपने हैं उसके,नहीं कोई गैर।।
**अजूनी हैं गुरु प्रसाद**
जन्म मृत्यु से परे है ईश्वर
है स्वयं से ही प्रकाशमान।
काल से भी मुक्त है ईश्वर,
यही स्वरूप ईश्वर का प्रमाण।।
प्रकाश उसका,गुरुप्रसाद रूप में,
सबमें कण कण में है विद्यमान।।।
**जप आदि सच जुगादि सच
है भी सच
नानक होसी भी सच**
हो बेहतर, गर इसी अमर सत्य का करें हम जाप।
युगों युगों से यही सत्य है,
भविष्य में भी यही सत्य रहेगा,
कह गए गुरु नानक आप।।
**सोचें सोचि न होवई
जे सोची लख वार
चुपै चुप न होवई
जे लाइ रहा लिव तार**
इससे मन पावन नहीं होता कभी,
चाहे स्नान कर लो लाख बार।
पावन तो होगा तभी मन,
जब होंगे नष्ट मन से सारे विकार।।
चुप रहने से नहीं मिलती
मन को शांति,
जब तक बाहरी जग से
जुड़े हैं मन के तार।
सच्ची शांति तो मन के भीतर ही है,
अंतर्मन के गलियारों में कर विचरण पाओगे शांति सार।।
**सहस सिआणपा लख होहि
ये इक न चलै नाल**
चाहे कोई कितना भी सयाना हो,
चालाकियां भी उसे आती हों लाख।
पर गुरप्रसाद पाने के लिए नहीं आती काम चाल कोई भी,
सच्चा मन ही गुरु नाम की सच्ची साख।।
किव सचिआरा होईऐ
किव कूड़ै तुटै पाल
हुकम रजाई चलत
नानक लिखिआ नाल
सत्य की खोज में भटकता है मन
कैसे प्राप्ति हो सत्य की,
उठते हैं प्रश्न ये मन में बार बार।
कैसे तोड़ें संसार रूपी इस
भ्रम और मिथ्या की दीवार???
एक ही आता है जवाब नजर इसका,
सोच ले चाहें हम हजार।
ईश्वर हुक्म मानकर ही,
उसके बताए मार्ग पर चलना हो हमे स्वीकार।।
तभी संभव है,
पहुंच सकते हैं हम ईश्वर के द्वार।।
ईश्वरीय आदेश पर ही लिखा है नानक जी ने ये,आओ जाने और समझें इसे बार बार।
अति सरल सीधे शब्दों में समझा गए जीवन का सार।।
**कीरत करो**
कठिन मेहनत करें सभी जगत में,
हों तरीके हमारे ईमानदार।
ऐसे ही अर्जित करो आजीविका,
समूल नष्ट हो जाए भ्रष्टाचार।।
हमारी आजीविका का साधन न हो
किसी का शोषण और मजबूरी,
यही कह गए नानक तारणहार।।
कर्तव्यों से कभी विमुख न होना
*हो सादा जीवन और उच्च विचार*
पाखड़ आडंबर का स्थान
न हो जग में,
*निर्मल मन ही जीवन का आधार*
जरूरतें पूरी हों सदा सबकी
रहे न जाग में कोई लाचार।
*धन* नहीं होता कभी बुराई अपने आप में,
बन जाता है बुराई
जब लालच कर लेता है धन का श्रृंगार।।
*लंगर प्रथा* ऐसी चला गए नानक
मन से मिटा गए अहंकार।
कोय ना भूखा सोए जग में,
विहंगम सोच,अदभुत कर्म,लाजवाब परिणाम ही जिसका आधार।।
**नाम जपो**
*सदा सिमरो उस सर्वशक्तिमान को*
सर्वत्र सर्वदा करो उसका अहसास।
हो जितना संभव लो नाम उसका,
ईश्वरीय गुणों को आत्मसात करने का, करो पल पल अभ्यास।।
इतना ध्यान रहे सदा,
*कभी करें ना अंधविश्वास*
ईश्वरीय गुण बना देते हैं अच्छा इंसान आपको,
खास से बन जाते हो अति खास।।
**वंद छको**
जो भी मिला है जीवन में हमें,
करें ग्रहण मां ईश्वर का प्रसाद
औरों को भी बांटें यथासंभव,
मिटे सबके मन से नैराश्य,अवसाद और विषाद।।
जरूरतमंदों की करें जरूरतें पूरी
बस यही करें ईश्वर से फरियाद।।
*जितना बांटोगे उतना ही पाओगे*
इन्हीं हरफों से बनी जिंदगी की किताब।।
कुछ भी बांट सकते हैं हम
शारीरिक मदद,धन,विद्या या फिर ज्ञान।
*जीवन तो सफर है मंजिल नहीं*
एक दिन पूरा हो जाएगा,
नहीं कोई इस सत्य से अनजान।।
कुछ भी तो साथ नहीं जाना,
बांटो जितना बांट सकते हो,
एक दूजे को मदद करना ही
रूह का सच्चा परिधान।
*खुशियां बांटों,लो दर्द उधारे*
जीवन बन जाएगा आसान।।
यही सिखाया है नानक जी ने,
कितना सरल, सादा जीवन का विज्ञान।।
*ये तीनों उपदेश बना सकते हैं हमें बेहतर इंसान*
दिल की कलम से
Wahe Guruji bless us all .
ReplyDeleteBeautiful description of Guru ji ‘s Ardaas . God in one ,one in all .🙏🏻