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खुशी नहीं मिलती बाहर से

खुशी नहीं मिलती बाहर से,
खुशी है भीतर का अहसास।
कोई तो कुटिया में भी खुश है,
किसी को महल भी नहीं आते रास।।

मन रहे सदा नियंत्रण में,
मन का रिमोट कंट्रोल होता है हमारे ही पास।
खुशी किसी हाट या बाजार में कोई मोल दे कर नहीं मिलती,
सादगी खुशी की सबसे सहेली है खास।।
एकदम फ्री में मिलती है खुशी,
खुशी से उम्दा नहीं होता कोई अहसास।।
लेने में नहीं देने में मिलती है खुशी,
निर्मल चित में करती आवास।।

महंगा फोन और बड़ी गाड़ी जैसी भौतिक वस्तुएं खुशी नहीं दे सकती,
खुशी का तो अंतर्मन के गलियारों में होता है वास।

अधैर्य, क्रोध,गुस्सा, चिड़चिड़ापन हर विकार पर विजय हम पा सकते हैं,
मन में जब प्रबल होगी प्रेम भावना और करुणा का जब नहीं होगा ह्रास।।

अपनी जिंदगी की बैट्री को फुल चार्ज रखना है हमें, 
ताकि चित में हो शांति का वास।
पुरानी बातें और बुरे संस्कारों को पूर्णतया डिलीट करना हमे आए रास।।

जैसे मोबाइल बैट्री सही रखने के लिए फालतू की अप्लीकेशन और डाटा डिलीट करने का होता है प्रावधान।
ऐसे ही पुरानी बातें और बुरे संस्कार हटा दिलो दिमाग से हो जाएं सावधान।।

मन का रिमोट हो बेहतर हो गर अपने ही पास।
उतना ही मन होगा बेकाबू,जितना होगा दूजों के पास।।

सात संस्कार हैं बड़े काम के,
जैसे पहुपान में होती है सुवास
शांति,सुख,शक्ति,पवित्रता,ज्ञान प्रेम और आनंद बस हमे आए रास।।

भावनात्मक भलाई हो जाएगी हमारी,
खुशी खुद चल कर आएगी हमारे पास।।

*प्रकृति* संग सही हों कर्म हमारे,
रखें हम प्रकृति का ध्यान।
जो देंगे प्रकृति को,वही लौटाएगी हमे वो, सरल सादा सीधा सा प्रकृति का विज्ञान।।
आने वाली पीढ़ियों को गर कुछ अच्छा देना है तो हमें,प्रकृति के संरक्षण का करना होगा काम।।

*जीवनशैली*
परिवेश और परवरिश बदल रहे हैं दोनो,परिवर्तन की चल रही है बयार
मोबाइल टीवी बन गए हैं अहम जीवन का हिस्सा,निभा रहे हैं ये अति अहम किरदार।।
बस ध्यान रहे इतना ये उपयोग की सामग्री है,इनके अधीन हमें नहीं होना
हम साधनों को चलाएं, न कि साधन हमें चलाएं,वरना पद सकता है रोना।।

खुशी महंगे फोन की गुलाम नहीं,
दिनचर्या में शामिल हो योग,प्राणायाम,मेडिटेशन और पढ़ाई
हो बेहतर सही समय पर बात सही हो हमे समझ में आई।।

 जो देखते हैं सुनते हैं खाते पीते हैं,
वही धीरे धीरे हम बन जाते हैं।
संग का रंग अवश्य ही चढ़ता है,
फलसफे जीवन के धीरे धीरे समझ में आते हैं।।
बापू के ये तीन बंदर यही तो हमे सिखाते हैं।
अतीत के हिंडोले में,जब हम वर्तमान को झुलाते हैं
वर्तमान संग भविष्य को भी अपने दांव पर लगाते हैं।।




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