*भरोसे का हम करते हैं पालन
और करते हैं मूल्यों का निर्माण*
मूलमंत्र है यही निगम का,
*समाधान हेतु आगमन,संतुष्टि सहित समाधान*
*सुरक्षा,संरक्षा और विश्वास*
है निगम हमारा इन्हीं से खास।।
सुखद वर्तमान की गहरी नीव ये
उज्जवल भविष्य की होती आस।।
आस ना टूटे,विश्वाश ना छूटे
हर समस्या का मिलता है समाधान
*भरोसे का हम करते हैं पालन
और करते हैं मूल्यों का निर्माण*
सपनों को हकीकत में बदलना
हमें बखूबी आता है।
हर पॉकेट में हो एक पॉलिसी,
निगम यही तराना गाता है।।
सरगम आश्वाशन की,सुर भरोसे के
साथ निभाने का पहना परिधान।।
मूल मंत्र है यही निगम का,
समाधान हेतु आगमन,
संतुष्टि सहित समाधान।।
*परिकल्पना,प्रतिबद्धता और प्रयास*
नवीनीकरण द्वारा परिवर्तनकारी दृष्टिकोण अपनाकर,किया निगम ने सदा विकास।।
विकास रुके ना कभी,ह्रास हो ना कभी,बनते रहे यूं हीं कीर्तिमान।
भरोसे का हम करते हैं पालन
और करते मूल्यों का निर्माण।
*भरोसा वही विश्वाश वही*
दुनिया की इस भीड़ में हम कल हों ना हों,रहे चलती अपनों की खाता बही।।
इसी सोच को लेकर आगे बढ़े हम
अहम से वयम का सुनाते फरमान।।
मूलमंत्र है यही निगम का,
समाधान हेतु आगमन,संतुष्टि सहित प्रस्थान।।
स्नेह प्रेमचंद
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