*कोई ओर नहीं
कोई छोर नहीं*
*मां जाई जैसा
कोई और नहीं*
*सबसे लंबा
सबसे प्यारा
भाई बहन का
सुंदर नाता*
*कभी बिसराना ना
मां जाई को
उसकी प्रेम गहराई
को तो नापना भी
नहीं किसी को आता*
जिंदगी का
जब परिचय
हो रहा होता है
अनुभूतियों से
तब से निभ रहा
होता है ये नाता
कोई सांझ भोर नहीं
होती ऐसी,
जब जेहन में पीहर
नहीं आता।।
मुलाकात बेशक
रोज ना होती हों,
पर संबंध तो
दिनों दिन
है गहराता।
*बेबे तो अक्सर
कई बार उलझ सी
जाती है अपने घर संसार में*
भाई दस्तक देते रहें उसकी
चौखट पर,ना सोचें
जाएंगे किसी त्योहार में।।
मां जाई के लिए तो
उसी रोज आ जाती है
*होली दिवाली*
जब दहलीज पर खड़े हों
मां जाए,
भर जाती है
जैसे झोली कोई खाली।।
वो रिश्ता ही क्या
जिसमे बार बार देनी पड़े सफाई
संवाद ओढ़े रहें दुशाला मधुरता का
फिर सदा बजेगी मीठी सी शहनाई।।
सच में सबसे न्यारी होती है मां जाई
किसी को जल्दी,
किसी को देर से
बात मगर ये समझ में आई।।
सच में वो बहुत खास है
सच में वो दिल के बहुत पास है
यूं हीं बिन मौके ही
चले आया करो
उसके आशियाने में,
बेशक उसने न हो आवाज लगाई।।
*वो कमल सी खिल जायेगी*
*सारी दरारें भर जाएगी*
*बिन मेकअप चेहरे पर चमक आएगी*
*होगा तो बहुत कुछ दिल के भीतर
पर बहुत कम सा ही कह पाएगी*
फिर से बचपन देगा दस्तक
जिंदगी की चौखट पर,
ऐसी होती हैं ये मां जाई।।
दिल की कलम से
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